जबलपुर। शहर के भेड़ाघाट, लम्हेटाघाट और सरस्वती घाट में बीते कई सालों से नर्मदा पंचकोशी यात्रा आयोजित कि जा रही है. जिसमें हजारों भक्त शामिल होते है. पंचकोशी यात्रा के लिए भक्तों ने राज्य सरकार से मांग की थी कि अगर नर्मदा नदी पर एक पुल बन जाता है, तो श्रद्धालुओं को उससे बहुत राहत मिल जाएगी. भक्तों की मांग पर नर्मदा नदी पर पुल बनाने का प्रस्ताव भी बन गया और टेंडर भी हो गया. लेकिन किसी कारणवश यह टेंडर निरस्त हो गए जिसके बाद नर्मदा भक्तों में क्रोश व्याप्त है.
लोक निर्माण विभाग की लापरवाही से हुआ नुकसाननर्मदा भक्तों का आरोप है कि ठेकेदार की मुनाफाखोरी के चलते लम्हेटाघाट और सरस्वती घाट पर पुल बनने की उम्मीदों पर पानी फिर गया. हर साल पंचकोशी यात्रा भेड़ाघाट से शुरू होकर लम्हेटाघाट होते हुए वापस भेड़ाघाट में समाप्त होती थी. इस दौरान यात्रा में शामिल हजारों श्रद्धालु नर्मदा परिक्रमा करते हुए करीब 15 किलोमीटर लंबा फेरा लगाते हैं. इतना ही नहीं नर्मदा तट के घाट में पुल नहीं होने से परिक्रमा कर भक्तों को नाव से नदीं पार करना पड़ता है. जिससे हमेशा एक दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है.
कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक से लगाई गुहारनर्मदा भक्तों ने भेड़ाघाट में जन आशीर्वाद यात्रा लेकर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लमेहटाघाट-सरस्वतिघाट में पुल बनाने की मांग की थी. भक्तों का कहना था कि अगर दोनों पुल बन जाते है, तो न सिर्फ नर्मदा परिक्रमावासी बल्कि आसपास के करीब 3 दर्जन गांव के लोगों को नाव से नदीं पार नहीं करना पड़ता. साथ ही मुख्य सड़क से सीधा संपर्क होने से ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर भी खुल जाते. भक्तों की मांग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के घोषणा के बाद लोक निर्माण विभाग ने लमेहटाघाट और सरस्वती घाट में पुल बनाने का प्रस्ताव भोपाल मुख्यालय भेजा था.
टेंडर निरस्तकरीब 3 साल के दौरान दोनों पुल की डिजाइन बार-बार बदली गई, लेकिन इन्हें बनाया नहीं गया. धार्मिक और आध्यात्मिक तौर पर अहम दोनों ही घाट पर पुल बनाने की मांग को लेकर नर्मदा पंचकोशी यात्रा समिति ने करीब 4 सैकड़ा बार अलग-अलग अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा चुके है. बावजूद पुल बनने की कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद उम्मीद जागी कि सरस्वतीघाट-लमेहटाघाट में पुल बन सकता है. जिसका लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव बना कर मुख्यालय भेजा गया. टेंडर भी जारी की गई पर अधिकारियों ने बैठक में अधिक राशि होने के चलते टेंडर को निरस्त कर दिया.
'ठेकेदार द्वारा ली जा रही थी ज्यादा दरें इसलिए हुआ ठेका निरस्त'लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री की दलील है कि ठेकेदारों द्वारा ज्यादा दरें भरने के कारण पुल की निविदा को निरस्त किया गया. हालांकि कार्यपालन यंत्री पीएस परिहार ने भरोसा जताया है कि इस वर्ष दोनों ही पुल के लिए निविदा निकाली गई है और माना जा रहा है कि निविदा में निश्चित रूप से टेंडर पास हो जाएगा. जिसके बाद नर्मदा भक्तों के लिए जल्द ही पुल भी तैयार हो जाएगा.