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कार्तिक पूर्णिमा: श्रद्धालुओं का नर्मदा तट पर उमड़ा सैलाब, लगाई आस्था की डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष अराधाना के लिए माना जाता है. हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इसे बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. जानिए कैसे होती है इस दिन की पूजा विधि...

Devotees throng to the Narmada coast
श्रद्धलुओं का नर्मदा तट पर उमड़ा सैलाब

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Published : Nov 30, 2020, 3:14 PM IST

Updated : Nov 30, 2020, 4:12 PM IST

जबलपुर। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नर्मदा तट ग्वारीघाट में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सुबह स्नान दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर परिवार में सुख शांति आती है, यही वजह है कि आज सुबह से ही ग्वारीघाट में सैकड़ों श्रद्धालु स्नान दान करने पहुंचे थे.

श्रद्धालुओं का नर्मदा तट पर उमड़ा सैलाब

कार्तिक पूर्णिमा व्रत और पूजा की विधि

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य उदय होने से पहले सुबह उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करें और फिर भगवान विष्णु का ध्यान करें, इस दिन व्रत रखने पर विशेष फल की भी प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है उस दिन उसे नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, व्रत करने वाले इस दिन ब्राह्मणों और योग पात्रों को दान करते हैं.

कार्तिक मास आखिर क्यों माना गया है सबसे उत्तम

कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप अपने घरों में हवन, यज्ञ, पूजा आदि करा सकते हैं. इस दिन कुछ लोग गंगा स्नान के लिए भी जाते हैं. ऐसा माना जाता है कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं व्रत रखने वालों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

कार्तिक माह का हिंदुओं में रहता है विशेष महत्त्व

हिंदू धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक शुक्ल माह में श्रीराधा-कृष्ण की पूजा विशेषकर होती है. इस पर्व में माता-बहनें निर्जला व्रत रखती हैं और राधा दामोदर की पूजा करती करती है. कृतिका नक्षत्र में माता बहनें 3 बजे रात से निर्जला व्रत रखती हैं और फिर अगले दिन नर्मदा तट में जाकर महिलाएं अपने व्रत का उद्यापन करती हैं.

Last Updated : Nov 30, 2020, 4:12 PM IST

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