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कोरोना संक्रमण के डर से घर में कैद श्रद्धालु, श्रावण में भी सूना पड़ा भोलेनाथ का दरबार - no devotees coming to kachnar city

जबलपुर स्थित कचनार सिटी में कोरोना महामारी के चलते श्रावण मास में लगने वाला भक्तों का तांता इस साल नहीं लगा है.

kachnar city
भोलेनाथ का दरबार सूना

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Published : Jul 9, 2020, 2:46 PM IST

जबलपुर।श्रावण माह भोलेनाथ का महीना माना जाता है. पूरे श्रावण मास भक्त मनोकामओं की पूर्ति के लिए महादेव के दरबार में अर्जी लगाते हैं. भगवान भोलेनाथ की 76 फुट ऊंची विशालकाय प्रतिमा के पास श्रद्धालुओं की संख्या श्रावण में बढ़ जाती है. कचनार सिटी में स्थापित भगवान शिव की 76 फीट ऊंची विशालकाय प्रतिमा के दर्शन के लिए दूरदराज से भी लोग पहुंचते हैं. हालांकि इस बार कोरोना संकट को देखते हुए कम श्रद्धालु ही यहां पहुंच रहे हैं.

प्रदेश की सबसे ऊंची मूर्ति

श्रावण में वैसे तो महीने भर मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, लेकिन सोमवार का अपना अलग महत्व होता है क्योंकि सोम को अमृत कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण सोमवार में शिव जी की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर उन पर अमृत वर्षा करते हैं. ऐसे में जबलपुर का कचनार सिटी एक ऐसा सिद्ध स्थल है, जहां देश के कोने-कोने से भक्त अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं.

सावन में भी भोलेनाथ का दरबार सूना

चुनिंदा भक्त लगा रहे अर्जी

जबलपुर की कचनार सिटी में स्थापित भगवान महादेव की प्रतिमा की चर्चा पूरी दुनिया में होती है क्योंकि इसमें एक साथ 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन इस स्थल पर तो हो ही जाते हैं. साथ ही भगवान भोलेनाथ की इस आकर्षक प्रतिमा को देखने भी भक्त दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं. यही वजह है कि पूरे श्रावण यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते चुनिंदा भक्त ही भगवान भोलेनाथ के दरबार में अर्जी लगा पा रहे हैं.

प्रदेश की सबसे ऊंची मूर्ति
भगवान शंकर की ये मूर्ति प्रदेश की सबसे ऊंची मूर्ति है. इसे बनाने में तीन साल से भी जादा का समय लगा था. बेहद आकर्षक और विशालकाय मूर्ति को दक्षिण भारत के मूर्तिकार के श्रीधरन ने बनाया है. इस मूर्ति के नीचे एक गुफा है, जिसमें भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग एक साथ स्थापित हैं. यहां पर सुबह से ही शिवभक्त बिल्वपत्र, आक, धतूरा, गाजर, बेर, दूध, दही, फल, फूल, चंदन, दूब आदि चढ़ाकर भोलेनाथ से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान मांगते हैं. लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में आराम करने चले जाते हैं. इस दौरान पृथ्वी का संचालन भगवान शिव करते हैं, इसलिए श्रावण के महीने में भगवान शंकर से जो भी मांगा जाता है वो जरुर पूरा करते हैं.

पूरी होती है मनोकामना

यहां पूरे विधि-विधान के साथ की गई पूजा को बेहद फलदायी माना जाता है. साथ ही परिवार की सुख-समृद्धि हो या फिर शिक्षा में सफलता, मनचाहे वर-वधू की कामना से लेकर व्यवसाय में तरक्की के लिए यहां किया गया अनुष्ठान कभी व्यर्थ नहीं जाता. ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में किए गए अनुष्ठान और पूजा से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और वे अपने भक्तों को मनोकामना पूर्ति का वरदान देते हैं.

दूर से कराए जा रहे दर्शन

भक्तों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए शिव मंदिर में भगवान शिव के दूर से ही दर्शन कराए जा रहे हैं. मंदिर में पूजा-पाठ और दर्शन के लिए आ रहे श्रद्धालुओं को मंदिर के गेट पर सबसे पहले सैनिटाइज किया जा रहा है, उसके बाद मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने पर ही मंदिर में अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है, ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

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