जबलपुर। कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कहा कि जब न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत नागरिकों को प्राप्त करने का अधिकार है तो उत्तर पुस्तिकाएं क्यों नहीं. अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक किया जा सकता है. अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उत्तर पुस्तिकाएं किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं हैं, जिसे आरटीआई के तहत देने से इनकार किया जाए.
हाईकोर्ट के नियम को असंवैधनिक बताया :हाईकोर्ट का नियम है कि उत्तर पुस्तिका सिर्फ संबंधित अभ्यर्थी को ही दी जाएगी. उक्त नियम को भी असंवैधनिक बताया गया. उक्त याचिका की विस्तृत सुनवाई करके न्यायालय ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह ने पैरवी की. जस्टिस शील नागू व जस्टिस डीडी बसंल की युगलपीठ ने दोनों पक्षों के तर्क पूरे होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.