जबलपुर। संस्कारधानी में करीब ढाई साल तक एसपी की कमान संभालने वाले अमित सिंह का उस समय ट्रांसफर करना, जब वह सुबह से लेकर रात तक कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए सड़क पर रहते थे. अचानक हुए उनके ट्रांसफर को लेकर अब सोशल मीडिया में कई तरह की बातें होने लगी है. कुछ लोग सरकार को इस फैसले पर विचार करने की बात कह रहे हैं तो कुछ शिवराज सिंह को उनके इस फैसले पर तंज कस रहे हैं.
जबलपुर एसपी के तबादले पर सोशल मीडिया पर शुरू हुई बहस
जबलपुर में करीब ढाई साल तक एसपी की कमान संभालने वाले अमित सिंह का उस समय ट्रांसफर करना, जब वह सुबह से लेकर रात तक कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए सड़कों पर रहते थे.
जबलपुल एसपी अमीत सिह के ट्रांसफर ऑडर के बाद सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमे लिखा हुआ है कि 'चूक गए चौहान' अमित सिंह, पुलिस अधीक्षक जबलपुर, महोदय आप का दो बार मां नर्मदा की भूमि संस्कारधानी की सेवा करने का अवसर निश्चित रूप से आप को मां नर्मदा के आर्शीवाद से अवसर प्राप्त हुआ. ये एक आप के लिए सौभाग्य का बड़ा विषय भी है. आप में अपने मधुर, मिलन सारिता से कार्य करने की कार्यकुसलता भी रही है. आप की तारीफ हमने कोई जबलपुर से प्राप्त नहीं की, हमको आप के ही जानने वाले प्रयागराज से मिली, शायद उस समय आप का पहली बार जबलपुर से भोपाल की ओर कतिपय कारणों से स्थानांतरित किया गया था, आप के कुछ वीडियो भी हमने आज अपलोड किये हैं. आप के द्वारा हमारे छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने वाले व्याख्यान भी दिए. लोग आरोप चाहे जो लगाए, लेकिन जमीनी स्तर पर ये ही सत्य है कि आप ने नियमों के तहत सत्ता और विपक्ष से जुड़े सभी लोगों का सम्मान हमेशा रखा हो सकता है कि कतिपय लोगों को छोड़कर शायद आप और अच्छे से भली भांति जानते और समझते होंगे.
अगर कोई ये कहे कि कर्फ्यू में हत्या या अपराधी फरार होने की तो शायद अतिश्योक्ति भी होगी क्योंकि अगर कार्य का मूल्यांकन सिर्फ कुछ घटनाओं का आधार है तो जबकि कोरोना महामारी का भयानक दौर चल रहा है. शायद लोग ये भूल जाते हैं कि मूल्यांकन बराबर का होता है. व्यापमं में कई हत्यायें हुई. जिसका आज तक कोई सुराग नहीं मिला. कितने लोगों को जिम्मेदार माना गया? मुखिया ने इस्तीफा दिया था क्या? सवाल बहुत है किंतु सत्ता हमेशा अपने लोगों के दम पर ही की जाती है और सरकार ने आप को अपना नहीं माना होगा. विरोधियों को एक मौका तलाशा था कल उनको मिल गया? "चूक गए चौहान". संस्कारधानी आप को हमेशा याद करेगी. एक दिन निश्चित ही वापसी होगी.