जबलपुर। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट द्वारा अंडर ट्रायल और सजायाफ्ता कैदियों को अस्थाई पैरोल संबंधित याचिका की सुनवाई हाई कोर्ट कर रहा है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को हाई पाॅवर कमेटी की बैठक में अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. पीठ ने बैठक तीन दिनों में आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं.
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- प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से सवार्धिक प्रभावित प्रदेश में मध्य प्रदेश भी शामिल है. प्रदेश की जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी हैं. प्रदेश की 131 जेल में 45582 कैदी नजरबंद हैं जबकि कुल इन जेलों की क्षमता 28675 की है. जेल में नजरबंध 30982 कैदी अंडर ट्रायल हैं तथा 14600 कैदी सजायाफ्ता हैं. इसमें 537 महिला कैदी हैं. दरअसल, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जेलों में नजरबंद सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई-अस्थाई जमानत दिए जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिए गए थे.
कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान सुझाव पेश किया थे कि जेल में नजरबंद महिला कैदियों के अलावा उम्र कैद से सजा काट रहे कैदी ने अगर सात साल की सजा पूरी कर ली है तो उन्हें पैरोल का लाभ दिया जाए.