जबलपुर।भोपाल के नए मास्टर प्लान को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से रिज्वाइंडर पेश करने के लिए मोहलत का आग्रह किया गया. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने चार सप्ताह का समय देते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की है.
मास्टर प्लान में 250 से अधिक गांव को शामिल
भोपाल सिटीजन फोरम और पूर्व डीजीपी अरूण गुर्टू की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि भोपाल के नए मास्टर प्लान में ढाई सौ से अधिक गांव को शामिल किया जा रहा है. इसके अलावा आसपास बाघ के लिए संरिक्षत क्षेत्र तथा तालाब के जलग्रहण क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया है कि आपत्तियों के निराकरण के लिए जो कमेटी गठित की गई है, उसका वैधानिक तौर पर कोई औचित्य नहीं है. महापौर सहित जिला पंचायत सदस्य, जनपथ सदस्य तथा ग्राम पंचायत के सरपंच का कार्याकाल पूर्ण हो चूका है. जनप्रतिनिधि के स्थान पर नामित सदस्य बनाए गए है, जो सरकारी कर्मचारी हैं.
कोर्ट ने दी अंतिम मोहलत
इसके अलावा पेश की गई 17 सौ से अधिक आपत्तियों की सुनवाई वीडियों कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम हो रही है. जिसके कारण आपत्तिकर्ता अपना पूरा पक्ष तथ्य तथा साक्ष्य के साथ प्रस्तुत नहीं रख पा रहे हैं. एनटीसीए की ओर से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि मास्टर प्लान में भोपाल से लगे बांधों के लिए संरक्षित क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है. जिस पर उनकी तरफ से आपत्ति पेश की गई है. सरकार की तरफ से प्रस्तुत जवाब पर रिज्वाइंडर पेश करने के लिए याचिकाकर्ता ने युगलपीठ से मोहलत मांगी थी. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को अंतिम मोहलत देते हुए उक्त आदेश जारी किए है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पैरवी की है.