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रिश्वतखोर राजस्व निरीक्षक को चार साल का कारावास, जानें- सजा से बचने के लिए कैसी दलीलें दीं

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 4:12 PM IST

Corruption in MP Jail to RI : मध्यप्रदेश लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश अमजद अली खान ने रिश्वत लेने के अपराध में राजस्व निरीक्षक को चार साल के कारावास की सजा से दंडित किया है. मामला करीब साढ़े 4 साल पहले का है.

imprisonment to revenue inspector in bribe case
रिश्वतखोर राजस्व निरीक्षक को चार साल का कारावास

जबलपुर।न्यायालय ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 तथा 13 के तहत दोषी करार दिया. आरोपी ने धारा 13 को हटाये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 मे संशोधन के 14 दिन पूर्व आरोपी रिश्वत लेते हुए पकड़ाया था. इस कारण हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. अभियोजन के अनुसार राजस्व निरीक्षक अरविंद पांडे ने जमीन के डायवर्सन के लिए दीपक पटेल से रिश्वत के रूप में साढ़े 7 लाख रुपये मांगे थे.

साढ़े 5 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार :लोकायुक्त ने उसे 12 जुलाई 2018 को साढ़े 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. प्रकरण की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता पक्ष विरोधी हो गया गया. सुनवाई के दौरान पेश किये गये साक्ष्य व गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी करार देते हुए उक्त सजा से दंडित किया गया. न्यायालय ने आरोपी को 8 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है. लोकायुक्त की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला ने पैरवी की. आरोपी राजस्व निरीक्षक ने धारा 13 को हटाये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी.

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कोई दलील काम न आई :याचिका में कहा गया था कि अरविंद पांडे की तरफ से दायर याचिका में दी गई कि एक्ट की धारा 13 में संशोधन किया गया है. याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राधेलाल गुप्ता मामले में धारा 13 को हटाये जाने का हवाला दिया गया. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि एक्ट की धारा 13 में संशोधन 26 जुलाई 2018 को हुआ था. सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में राधेलाल गुप्ता के खिलाफ धारा 13 के तहत कार्रवाई को निरस्त किया था. याचिकाकर्ता के खिलाफ एक्ट में संशोधन के 14 दिन पूर्व कार्रवाई की गयी थी. इसलिए उसके खिलाफ दज धारा 13 को नहीं हटाया जा सकता है. सुनवाइ के बाद युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.

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