जबलपुर।कृषि कानून के समर्थन में सरकार द्वारा प्रदेश के 6 जिलों में किसान सम्मेलन आयोजित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि गृह विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देषों का उल्लंघन कर किसान सम्मेलन आयोजित किया था. प्रशासन द्वारा आयोजन में पूरा सहयोग प्रदान देते हुए सुरक्षा भी प्रदान की. याचिका में मांग की गयी थी कि सम्मेलन के आयोजक उसमें शामिल नेतओं और सहयोग करने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विधि अनुसार कार्यवाही की जाये. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ से सरकार ने जवाब पेश करने के लिए फिर 10 मार्च को निर्धारित की है.
इंदौर निवासी राजेन्द्र गुप्ता और सागर निवासी पंकज सोनी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के गृह सचिव द्वारा 20 नवम्बर को कोरोना वायरस की रोकथाम के संबंध में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को एक आदेश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करे की सार्वजनिक स्थलों पर फेस माक्स का इस्तेमाल सुनिश्चित रूप से किया जाए. आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ जुर्माना सहित अन्य वैधानिक कार्रवाई की जाये. गृह सचिव द्वारा जारी आदेश में धारा 144 लागू किये जाने संबंधित आदेश भी जारी किये गये थे.
याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि संषोधन कानून के समर्थन में भारतीय जनता पार्टी ने 16 दिसम्बर को इंदौर,ग्वालियर,सागर एव रीवा में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसके अलावा 18 दिसम्बर को रायसेन में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था. किसान सम्मेलन के आयोजन के दौरान सोशल डिस्टेसिंग,मास्क के उपयोग और सेनीटाईजेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. याचिका में कहा गया था कि किसान सम्मेलन का आयोजन में गृह विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देषों का उल्लंधन किया गया है.
याचिका में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण के कारण इंदौर में एक हाईकोर्ट जज की मौत हुई थी.याचिका के साथ कोरोना से मृत व्यक्ति के आंकडे़ भी पेश किये गये थे. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि एक तरफ मांगलिक काम के लिए प्रशासन की अनुमत्ति जरूरी है.इसके विपरित किसान सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए. सरकार व जिला प्रशासन ने जारी गाइडलाइन के उल्लंधन पर कार्रवाई करने की बजाए आयोजन में सहयोग किया.
याचिका में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव,गृह व स्वास्थ विभाग सचिव,डीजीपी तथा 6 जिलों के कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए समय दिया था. याचिका पर मंगलवार को सरकार की तरफ से जवाब में लिए फिर समय देने का आग्रह किया. जिसे युगलपीठ ने स्वीकार कर लिया.