जबलपुर। कोरोनावायरस की वजह से इस साल कोरोनावायरस बाकी मौसमी बीमारियां लगभग गायब सी हो गईं. जबलपुर में बीते सालों में कई दूसरे वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय थे, लेकिन इस साल इनका प्रकोप कम ही नजर आया.
यदि हम आंकड़ों पर नजर डालें तो 2015 से लेकर 2017 तक जबलपुर में हर साल लगभग 300 से ज्यादा लोगों को मलेरिया होता था दो हजार अट्ठारह में 230 लोगों को मलेरिया हुआ 2019 में यह संख्या घटकर 94 हो गई लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 2020 में मात्र 26 लोगों को मलेरिया होने की शिकायत पाई गई.
गुम हो गईं मौसमी बीमारियां डेंगू के मामले में जबलपुर का रिकॉर्ड खराब रहा है डेंगू बुखार का बैक्टीरिया ने 2015 में 41 लोगों को 2016 में 71 लोगों को 2017 में 130 लोगों को बीमार किया था सबसे बुरी हालत डेंगू में 2018 के दौरान थी, जब जबलपुर में 827 लोगों को डेंगू के बुखार की शिकायत हुई थी और कितने लोग पॉजिटिव पाए गए थे हालांकि पिछले साल यह संख्या घटकर 393 हो गई थी इस साल कोरोनावायरस की वजह से लोगों ने स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता दिखाई और अब तक मात्र 29 लोगों को ही डेंगू बुखार हुआ है.
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जबलपुर में चिकनगुनिया नाम से एक वायरस बीते कई सालों से सक्रिय हैं, दो हजार सत्रह तक जबलपुर में इसके कुल मिलाकर 33 मामले सामने आए थे. लेकिन 2018 में चिकनगुनिया ने अपना विकराल रूप दिखाया और जबलपुर में 1545 लोगों को चिकनगुनिया वायरस की वजह से तकलीफ झेलनी पड़ी थी और इसी साल चिकनगुनिया की वजह से कई लोगों की जान भी गई थी जबलपुर में लंगड़ा बुखार के नाम से जाना जाता था. हालांकि बीते साल इसका प्रकोप कुछ कम रहा और 239 लोग चिकनगुनिया की वजह से बीमार हुए इस साल यह आंकड़ा मात्र 32 पर पहुंच गया लोगों को उम्मीद थी कि बारिश में चिकनगुनिया और लंगड़ा बुखार लोगों को बीमार करेंगे लेकिन इस साल इसका असर नहीं दिखा.
आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस की वजह से लोग स्वास्थ्य के प्रति सतर्क हो गए हैं और लोगों ने अपनी आदतें भी सुधार ली इसकी वजह से दूसरे संक्रामक वायरस और बैक्टीरिया अपना असर नहीं दिखा पाए लेकिन कोरोना वायरस लोगों को बीमार किया और जबलपुर में लगभग 194 लोग अब तक करो ना की वजह से जान गवा चुके हैं.
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बहराल जबलपुर जिला प्रशासन का कहना है कि वह कोरोना वायरस पर नजर रखे हुए हैं. इसके साथ ही टीवी मलेरिया चिकनगुनिया और डेंगू जैसे दूसरे बैक्टीरिया और वायरस के प्रकोप को भी नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रहे हैं. जबलपुर के सबसे घने इलाके मोती नाला के पास के डिस्पेंसरी में हमने इस बात का जायजा लिया, यहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर का कहना है कि इस साल मौसमी बीमारियों का प्रकोप बीते सालों की अपेक्षा कम है. हालांकि थोड़े बहुत मरीज आ रहे हैं, लेकिन हर साल की अपेक्षा कम ही लोग मौसमी बीमारियों से बीमार हुए हैं.
भले ही मौसमी बीमारियों ने थोड़ी सी राहत दे दी हो लेकिन, कोरोनावायरस ने पूरे समाज को तहस-नहस कर दिया. स्वास्थ्य की इतनी बड़ी आपदा मौजूदा पीढ़ी ने कभी नहीं भोगी थी और अभी यह समस्या कितने दिनों तक चलेगी, इस बारे में किसी को सही सही जानकारी नहीं है.