जबलपुर। कमलनाथ सरकार सत्ता बचाने के लिए कोर्ट की शरण में जा सकती है. इस पर हाईकोर्ट के वकील और संविधान विशेषज्ञ राजेश चांद ने अपनी राय दी है. संविधान विशेषज्ञ राजेश चांद का कहना है कि पहले सरकार अगर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके अपने विधायकों को कोर्ट के सामने पेश करने के लिए कहें, तो विधायकों को कोर्ट के सामने आना होगा. फिर भले ही वे यह बयान दें कि वह अपनी मर्जी से बेंगलुरु में गए थे या फिर उन्हें अवैधानिक रूप से रखे गये थे, फिर वह लोग वहां से फ्लोर टेस्ट के लिए जा सकते है.
सियासी संकट के बीच अगर न्यायालय की शरण में जाती है सरकार तो क्या होगा...?
कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. इस स्थिति में सरकार के पास क्या संवैधानिक अधिकार है, इस पर संविधान विशेषज्ञ राजेश चांद ने अपनी राय साझा की.
दूसरा ये हो सकता है कि विधायकों के इस्तीफे की जांच करवाना है, अगर जांच के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि विधायकों का भरोसा कमलनाथ से उठ गया है, तो ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट में सरकार गिर जाएगी. तीसरा अगर विधायकों को कोई पार्टी निष्कासित करती है, तो उनकी सदस्यता बची रहेगी. वहीं अगर वे खुद दलबदल करते हैं, तो उनकी विधानसभा से सदस्यता समाप्त हो जाएगी. ऐसी स्थिति में इस्तीफे पर नए चुनाव का विकल्प ही शेष बचेगा.
इसके अलावा अगर पूरी सरकार विधानसभा से इस्तीफा दे देती है, तो इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और राज्यपाल लालजी टंडन से विधानसभा भंग करने की मांग कर सकती है. हालांकि यह फैसला राज्यपाल को करना होगा.