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शहर से कहां गायब हो गए ई-रिक्शे, कलेक्टर ने जताई चिंता

जबलपुर जिला प्रशासन और निगम की महत्वकांक्षी योजना के तहत शुरू किए गए ई-रिक्शा सड़कों से गायब होने लगे हैं, जिस पर कलेक्टर भरत यादव ने चिंता जताई है.

Collector expressed concern over e-rickshaw disappearing from the city in jablpur
शहर से गायब हुए ई-रिक्शे

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Published : Jan 15, 2020, 4:38 PM IST

जबलपुर।दिल्ली की तरह ही जबलपुर में लोग प्रदूषण का शिकार ना हो इसके लिए जिला प्रशासन ने नगर निगम की मदद से ई-रिक्शा चलाने का प्लान बनाया था. लेकिन नगर निगम की दूसरी योजनाओं की तरह ही ये योजना भी खटाई में पड़ने लगी है. इस योजना में इको फ्रेंडली कहलाने वाले ई-रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए शहर में 400 से ज्यादा ई रिक्शे रजिस्टर्ड हुए थे, लेकिन खराब सड़कों और सुविधाओं के अभाव में गायब भी होने लगे हैं.

करीब 3 साल पहले नगर निगम की मदद से पर्यावरण को बचाने और रोजगार मुहैया कराने के लिए ई-रिक्शे की पहल शुरू की गई थी. जिला प्रशासन ने ऊर्जा विकास निगम के सहयोग से नगर के जरिए 430 ई-रिक्शों का रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन शहर में चार्जिंग पॉइंट न होने के कारण बार-बार बैटरी खत्म और खराब सड़कों के चलते रिक्शों में आ रही खराबी के चलते रिक्शा चालक फिर से ऑटो का रुख कर रहे हैं. आलम ये है कि शहर में अब ई रिक्शे कभी-कभी ही नजर आते हैं.

शहर से गायब हुए ई-रिक्शे

एक ई-रिक्शा में 4 बैटरी लगती हैं और एक बैटरी की क्षमता करीब 10 महीने होती है. इसके बाद बैटरी के लिए 30 से 35 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं. ऊपर से सड़कें खराब होने से रेस कंट्रोलर और सिल्वर वायरिंग खराब होने से ई-रिक्शा चालकों को भारी खर्चा भी उठाना पड़ता है. ई-रिक्शा के लिए सपाट सड़कें चाहिए जो जबलपुर में नहीं हैं और यही वजह है कि सड़कों से सैकड़ों ई-रिक्शे गायब होने के बाद जिला प्रशासन अब इन्हें तलाश करने में लगा हुआ है.

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