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सफाईकर्मी कर रही गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी, स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही की सीमाएं पार - भिड़की स्वास्थ्य केंद्र

जबलपुर की शहपुरा तहसील के भिड़की स्वास्थ्य केंद्र में अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही की सीमाएं पार कर दी हैं. आलम ये है कि सफाईकर्मी हक्की बाई महिलाओं की डिलीवरी कर रही है.

हल्की बाई सफाईकर्मी

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Published : Sep 23, 2019, 10:52 AM IST

Updated : Sep 23, 2019, 1:14 PM IST

जबलपुर। सरकार गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का दावा करती है, जबकि अभी भी कई गांव-कस्बे ऐसे हैं, जहां स्वास्थ्य केंद्र खोल तो दिए गए हैं, लेकिन उनमें न तो बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही डॉक्टर. ऐसी ही हालत है जिले की शहपुरा तहसील के भिड़की स्वास्थ्य केंद्र की, जिसमें कहने को तो 8 लोगों का स्टाफ है, लेकिन प्रसव कराने आई महिलाएं एक सफाई कर्मचारी से डिलीवरी कराने को मजबूर हैं.

उप स्वास्थ्य केंद्र भिड़की में सफाईकर्मी कर रही इलाज

शनिवार देर रात धरमपुरा गांव की रहने वाली गर्भवती को प्रसव पीड़ा हुई. परिजन उसे भिड़की अस्पताल ले गए, जहां अस्पताल में कोई भी नर्स या डॉक्टर मौजूद नहीं था. महिला घंटों दर्द से तड़पती रही, जिसके बाद अस्पताल की सफाईकर्मी हक्की बाई जो एक क्लास तक नहीं पढ़ी है, गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अंदर ले गई और प्रसव करा दिया. इतना ही नहीं सफाईकर्मी हक्की बाई ने दो और महिलाओं की डिलेवरी भी कराई. गजब तो तब हो गया, जब एक महिला की स्थिति बिगड़ी, तो हक्की बाई ने महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जब हक्की बाई से इस बारे में पूछा गया तो, उसने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने का काम वो ही करती है और कितने ही प्रसव करा चुकी है, जिसकी गिनती उसे खुद याद नहीं है.

इसके अलावा हक्की बाई जो अस्पताल में नर्स, डॉक्टर और सफाईकर्मी तीनों की भूमिका निभा रही है, प्रसव से लेकर ड्रेसिंग तक काम वही करती है. रात के समय स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं. हक्की बाई ही स्वास्थ्य केन्द्र की डॉक्टर और नर्स दोनों होती है. अगर वह एक दिन की छुट्टी पर चली जाए, तो अस्पताल भगवान भरोसे हो जाता है. इसके बावजूद भी हक्की बाई को सही मेहनताना नहीं मिल पा रहा है. उसने बताया कि पहले उसका वेतन 5 हजार रुपए था, लेकिन अब ढाई हजार रुपए ही मिलते हैं. अस्पताल प्रबंधन ने कटौती का कारण भी नहीं बताया है.

इतना ही नहीं स्वास्थ्य केंद्र में बदहाली का आलम ये है कि अस्पताल प्रभारी की टेबल पर एक्सपायरी दवाएं बिखरीं पड़ी थी. एएनएम ने बताया कि ये सभी फेंकने के लिए रखी हुई हैं. इसके अलावा अस्पताल में डिलीवरी के बाद प्रसूताओं को दिए जाने वाले पोषण आहार की व्यवस्था भी गंभीर थी. बीते दिन रसोइया आया ही नहीं, जिसके चलते मरीजों को भोजन ही नहीं दिया गया.

एएनएम श्वेता पाशी ने बताया कि अस्पताल में 8 लोगों का स्टाफ है. जब अस्पताल में कोई न हो तो ही हक्की बाई डिलीवरी करती है. बीते दिन एक मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ गया था, जिसके चलते हक्की बाई ने महिला की डिलीवरी की. एएनएम ने एक सफाईकर्मी को डिलीवरी स्पेशलिस्ट बना दिया. जिसके पास जरूरत पड़ने पर मरीजों को जिला अस्पताल रेफर करने के अधिकार भी हैं.

Last Updated : Sep 23, 2019, 1:14 PM IST

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