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चीफ जस्टिस ने अधूरे पड़े कामकाजों का किया निरीक्षण, सीवर प्रोजेक्ट का भी किया मुआयना - सीवर प्रोजेक्ट

जबलपुर में चीफ जस्टिस एके मित्तल और विजय कुमार शुक्ला ने अधूरे पड़े कामों का जायजा लिया.

Chief Justice of Madhya Pradesh High Court inspected construction works
चीफ जस्टिस ने किया निरीक्षण

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Published : Feb 15, 2020, 6:24 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल और विजय कुमार शुक्ला ने अधूरे पड़े विकास कामों का जायजा लेने खुद मैदान में उतर गए हैं. जहां उन्होंने विकास कार्यों का जायजा लिया. जस्टिस ने मदन महल की पहाड़ी दयोदय तीर्थ और सीवर लाइन प्रोजेक्ट का निरीक्षण भी किया.

चीफ जस्टिस ने किया निरीक्षण

जस्टिस एके मित्तल के साथ दूसरे साथी जज विजय कुमार शुक्ला भी मौजूद रहे. सबसे पहले चीफ जस्टिस का काफिला मदन महल पहाड़ियों पर पहुंचा, क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही मदन महल पहाड़ियों से हजारों अवैध अतिक्रमण हटाए गए और पार्क बनाया गया है. चीफ जस्टिस ने नगर निगम के अधिकारियों से इस पार्क के विकास के बारे में जानकारी ली. मदन महल पहाड़ियों से अभी कितने कब्जे हटाए जाने हैं, इस बारे में भी जानकारी मांगी.

पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से दी जानकारी

नगर निगम के अधिकारियों ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए चीफ जस्टिस को मदन महल पहाड़ियों की अपनी पूरी जानकारी से अवगत कराया. इसके बाद चीफ जस्टिस का काफिला तिलवारा घाट पहुंचा. जहां दर्शन तिलवारा घाट में भी दयोदय ट्रस्ट और नगर निगम के बीच में एक विवाद चल रहा है. जिसमें नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य और जमीन का विवाद है. इस मुद्दे पर भी कोर्ट में बहस हो चुकी है. चीफ जस्टिस अपने काफिले के साथ इस विवाद को भी मौके पर देखने के लिए पहुंचे. दोनों ही पक्षों को कोर्ट में सबूतों के साथ बुलवाया है.

सीवर प्रोजेक्ट के बारे में ली जानकारी

इसके बाद चीफ जस्टिस ने जबलपुर के सीवर लाइन प्रोजेक्ट के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली. अधूरी सीवर लाइन के कामों का निरीक्षण किया. दरअसल बीते दिन कोर्ट में जबलपुर के सीवर लाइन प्रोजेक्ट से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई हुई थी. जिसमें हाईकोर्ट की युगल पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी सूरत में जनता के पैसों को बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा. जस्टिस ने कहा था कि वे खुद मौके पर जाकर इन इन सभी का जायजा लेंगे. अब इन सब मुद्दों पर अगली सुनवाई में हाईकोर्ट नगर निगम का पक्ष सुनेगा और कैसे जनता के पैसे को बचाते हुए इन प्रोजेक्टों को पूरा किया जाए. इस विषय में अपना आदेश देगा.

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