जबलपुर। काजू सूखे मेवों में एक महंगा मेवा है. सामान्य तौर पर इसका उत्पादन दक्षिण भारत में ही होता है, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जबलपुर के वातावरण में भी काजू उगाया जा सकता है. जबलपुर के नया गांव निवासी रजत भार्गव ने घर के बगीचे में एक काजू का पेड़ लगाया है. पेड़ लगभग 5 साल पुराना है और इसने बीते 2 वर्षों से फल आ रहे हैं. रजत भार्गव का कहना है कि उन्होंने शौकिया तौर पर इस पेड़ को लगाया था और उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जबलपुर के वातावरण में काजू उत्पादन दे पाएगा, लेकिन उनके इस पेड़ से उन्हें साल भर में 5 किलो तक काजू मिल जाते हैं. हालांकि रजत भार्गव के पास काजू का खोल निकालने की मशीन नहीं है लेकिन सामान्य औजारों से काजू का खोल निकाल कर इसका इस्तेमाल किया जाता है. रजत भार्गव का मानना है कि मध्य प्रदेश में भी Cashew farming हो सकती है.
- बगीचे में है कई मसाला उत्पादक पेड़-पौधे
रजत भार्गव के घर में बने इस छोटे से बगीचे में कई अलग-अलग किस्म के पेड़ और पौधे देखने को मिलते हैं. इसमें पान, तेजपत्ता, लोंग जैसे पौधे भी लगे हुए हैं और इनका इस्तेमाल भार्गव परिवार अपने खाने में करता है. रजत भार्गव बताते है कि हम जब भी कहीं बाहर जाते हैं, तो वहां से एक पौधा जरूर खरीद कर लाते हैं. इस तरीके से हमारे बगीचे में देश के उत्तर भारत और दक्षिण भारत दोनों तरफ के पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं.
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- काजू का प्रदेश में हो सकता है व्यवसायिक उत्पादन