जबलपुर। मिशनरी की जमीन को बेचकर करोड़ों की काली कमाई करने वाले प्रेमचंद उर्फ बिशप पीसी सिंह के रोजाना नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं (bishop pc singh) . शैक्षणिक संस्थाओं से करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने के मामले में जेल में बंद पूर्व बिशप पीसी सिंह के मामले में एक नया मोड़ आया है. इस मामले की जांच में जुटी ईओडब्ल्यू के समक्ष नागपुर डायोसिस के वर्तमान सचिव ने जो दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, उससे यह साबित होता है कि पीसी सिंह ने फर्जीवाड़ा कर नागपुर एजुकेशन बोर्ड का नाम बदलकर उस पर कब्जा जमा लिया था (bishop renamed nagpur education board).
दस्तावेजों के आधार पर एफआईआर दर्ज: ईओडब्ल्यू की जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि वर्ष 2003 में पीसी सिंह विशप बने थे. उसके बाद उसने नागपुर के बिशप डीपी भुपारे से सांठगांठ कर नागपुर डायोसिस के अंतर्गत संचालित होने वाली क्राइस्ट चर्च स्कूलों को नागपुर डायोसिस से अलग करने की अनुमति दी थी. मामले में नागपुर डायोसिस के सचिव ने ईओडब्ल्यू के समक्ष प्रस्तुत होकर मूल दस्तावेज प्रस्तुत किए. नागपुर डायोसिस से क्राइस्ट चर्च स्कूलों को अलग किए जाने के निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं. नागपुर डायोसिस से संचालित होने वाली क्राइस्ट चर्च स्कूलों का बोर्ड बदले जाने के मामले को लेकर संस्था से जुड़े किसी व्यक्ति द्वारा नागपुर थाने में शिकायत दी गई है. जिसमें पीसी सिंह व सुरेश जैकब के द्वारा फर्जीवाड़ा किए जाने का आरोप लगाया गया है. इस शिकायत की जांच की जा रही है और दस्तावेजों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जा सकती है.