जबलपुर।आज 24 जून को रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पहले शासन काल से अब तक अपने भाषण में इस बात का जिक्र करते हैं कि रानी दुर्गावती की कहानी बच्चों को सुनाई जानी चाहिए. लेकिन अब तक यह कहानी मध्यप्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हुई. मध्य भारत की सबसे प्रतापी महिला रानी दुर्गावती की कहानी, एक कहानी नहीं है बल्कि यह शौर्य और पराक्रम का ऐसा उदाहरण है, जिसे सुनकर किसी को भी जोश आ जाए. इतिहासकारों का कहना है कि गौंड राजाओं का इतिहास भारत के दूसरे राजाओं जैसा नहीं लिखा गया. लेकिन अलग-अलग किताबों में इसका थोड़ा उल्लेख है. जिसके आधार पर यह पता लगता है कि रानी दुर्गावती भारत की महान निडर और साहसी रानियों में से एक थीं.
चंदेल राजा की बेटी थी रानी दुर्गावती :रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कालिंजर रियासत में राजा कीरत सिंह चंदेल के घर हुआ था. रानी दुर्गावती राजपूत चंदेल वंश की लड़की थी. दुर्गावती अपने पिता कीरत सिंह को राजकाज करने में पूरी मदद करती थीं और वह एक अच्छी योद्धा भी थीं. गोंडवाना साम्राज्य में उस समय राजा संग्राम शाह का शासन था. गोंडवाना साम्राज्य कालिंजर रियासत से सटा हुआ था. उस जमाने में राजा दूसरे राज्य के राजघरानों पर विशेष नजर रखते थे. संग्राम शाह गोंडवाना साम्राज्य के अब तक के सबसे प्रतापी राजा थे. इसलिए कीरत सिंह और संग्राम शाह ने मिलकर संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह की शादी दुर्गावती के साथ करवाई. हालांकि इसके पहले कि इन दोनों की शादी हो पाती, संग्राम शाह की मौत हो गई. संग्राम शाह की मौत के बाद दलपत शाह भी ज्यादा दिनों तक नहीं रहे. दलपत शाह का भी बीमारी के चलते निधन हो गया. उस समय रानी महज 24 साल की ही थीं. उनका 1 साल का बेटा वीरनारायण उनके साथ था.
16 साल तक किया राज :24 साल की उम्र में रानी दुर्गावती विधवा हो गईं और गोंडवाना साम्राज्य की पूरी कमान उनके हाथ में आ गई. उनके पिता कीरत सिंह पहले ही शेरशाह सूरी को मारने के बाद शहीद हो गए थे. इसलिए कालिंजर से लेकर पूरे गोंडवाना साम्राज्य की कमान इस 24 साल की महिला के हाथ में थी. रानी दुर्गावती ने तय किया कि वे जबलपुर को अपनी राजधानी बनाएंगी. जिसे उनके ससुर संग्राम शाह ने विकसित किया था. मध्य भारत में गोंडवाना साम्राज्य में रानी दुर्गावती ने अपने मंत्रियों के साथ राजकाज शुरू किया. जबलपुर में गढ़ा और कटंगा के बीच में पूरा नगर विकसित किया गया.
जबलपुर में 52 तालाब बनवाए :लोगों के उपयोग के लिए शहरभर में बावड़ियां बनाई गई थीं, जो आज भी खुदाई के दौरान मिलती हैं. उनमें से कुछ ठीक-ठाक स्थिति में हैं और कुछ बर्बाद हो गईं. रानी के मंत्री आधार सिंह के नाम से जबलपुर का आधारताल खोदा गया था. रानी की सहेली के नाम से चेरीताल बनाया गया. इस तरह से शहर के अलग-अलग 52 ताल-तालाब बनाए गए. गोंडवाना साम्राज्य 52 गढ़ों में बटा हुआ था, जो मालवा से शुरू होकर महाराष्ट्र और मध्य भारत से शुरू होकर उत्तर प्रदेश तक जाते थे. इन सबकी राजधानी जबलपुर हुआ करती थी.
सेना में 2 हजार हाथी :इतिहासकार बताते हैं कि रानी दुर्गावती व्यापार करने में भी बहुत चतुर थीं. उन्होंने गोंडवाना साम्राज्य के हजारों गांवों में एक सी कर व्यवस्था लागू की थी, जिसमें कुल फसल का एक तिहाई राज्य को देना होता था और इसके एवज में राज्य उन लोगों को सुरक्षा देता था. रानी के पास में दो हजार हाथी थे. हाथी रानी की फौज में तो शामिल थे ही. इनके साथ ही इनका व्यापार भी किया जाता था. यहां से राजा हाथी खरीद कर ले जाते थे. रानी ने अपनी टकसाल बनाकर रखी थी, जिसमें सोने और चांदी की मोहर चला करती थी. उस समय रानी के पास टैक्स के रूप में पर्याप्त पैसा आता था.