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MP High Court से संविदा कर्मी को बड़ी राहत,सेवा समाप्ति पर रोक लगाते हुए वेतन भुगतान के दिए आदेश

मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट से एक महिला संविदा कर्मी को बड़ी राहत मिली है. संविदा कर्मी द्वारा 5-6 माह का वेतन मांगने पर उसे नौकरी से ही मुक्त कर दिया था. इस पर पीड़ित ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जिस पर अदालत ने सेवा समाप्ति पर रोक लगाते हुए वेतन भुगतान का आदेश दिया है. इसके साथ ही संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब भी दाखिल करने को कहा है. (MP high court news)

MP high court news
हाईकोर्ट से संविदा कर्मी को बड़ी राहत

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Published : Jan 16, 2023, 11:02 PM IST

जबलपुर।शहडोल जिले में मनरेगा में पदस्थ एक महिला संविदा कर्मी को वेतन मांगने पर सेवा समाप्त किये जाने संबंधी मामले को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने आवेदिका की सेवा समाप्ति पर रोक लगाते हुए उसके वेतन भुगतान करने के निर्देश दिये हैं. इसके साथ ही एकलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. (Big relief to contract worker from mp)

गायत्री सिंह धुर्वे ने दायर की थी याचिकाः यह मामला गायत्री सिंह धुर्वे की ओर से दायर किया गया था. जिसमें कहा गया है कि संविदा डाटा इंट्री ऑपरेटर मनरेगा जनपद पंचयात गोहपारू जिला शहडोल में पदस्थ थी. पूर्व में कार्यालय जिला पंचयात शहडोल में वाटर सेट में वर्ष 2012 से वर्ष 2022 तक कार्यरत थी. राज्य शासन के आदेशानुसार याचिकाकर्ता को जनपद पंचायत मनरेगा में वर्ष 2022 में नियुक्ति की गई थी. जिसके बाद कलेक्टर शहडोल के द्वारा 22 दिसंबर 22 को संविदा समाप्त कर दी गई. जिस पर पीड़ित ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. (High court orders given for payment of salary)

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याचिकाकर्ता ने जब वेतन मांगा तो कर दी थी छुट्टीः याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि आवेदिका को पिछले 5-6 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा था. जिसके बाद उसने कई मर्तबा कलेक्टर के समक्ष वेतन भुगतान के लिए अभ्यावेदन दिया. बावजूद इसके वेतन भुगतान न कर उसकी संविदा सेवा ही समाप्त कर दी गई. इतना ही नहीं कोई कारण बताओं नोटिस भी नहीं दिया गया. मामले की सुनवाई दौरान न्यायालय ने समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए संविदा समाप्ति पऱ रोक लगाते हुए अनावेदक गणों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता के वेतन भुगतान के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने पक्ष रखा. इस आदेश के बाद माना जा रहा है इस तरह अन्य पीड़ितों के लिए भी न्याय का रास्ता खुल गया है. वह लोग भी अब इस तरह के मामले में न्यायालय की शरण ले सकते हैं. (when petitioner asked salary she was given leave)

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