जबलपुर। नर्मदा नदी के किनारे के घाटों में मिल रहे नालों के गंदे पानी को रोकने के लिए नगर निगम गंभीर हो गया है. नगर निगम कमिश्नर ने बताया कि लंबे समय से नर्मदा नदी के किनारे स्थित दरोगाघाट, उमाघाट और ग्वारीघाट के नालों का गंदा पानी नर्मदा नदी में मिल रहा था. इसके उपचार के लिए दरोगा घाट में 150 केएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट एंड रिसाइलिंग प्लांट अप्रैल 2012 में स्थापित किया गया था, लेकिन क्षमता कम होने के कारण 2017 में इसी जगह पर 400 केएलडी क्षमता का नया प्लांट स्थापित किया गया. इस प्रकार से कुल क्षमता प्लांट की 550 हो गई. दरोगा घाट के बाद खारीघाट में भी गंदे नाले का पानी नर्मदा नदी में मिल रहा है. इसके उपचार के लिए केएलटी ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की तैयारी नगर निगम ने की है.
6 माह के भीतर जल मल शोधन संयंत्र स्थापित होगा :प्लांट के निर्माण हेतु निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं. आपको बता दें कि हाल ही में ईटीवी भारत ने गंदे नाले नर्मदा नदी में लगातार मिलने को लेकर खबर को गंभीरता से प्रकाशित किया था. इसके बाद जिला प्रशासन और नगर निगम हरकत में आया और अब 100 केएल्डी का ट्रीटमेंट जल संयंत्र बनाने की तैयारी में जुट गया है. नगर निगम कमिश्नर ने बताया कि नर्मदा जयंती के अवसर पर खारी घाट पर मिलने वाले नाले के पानी को अस्थाई रूप से मिट्टी की मेड़ बनाकर बांध दिया गया था. लेकिन लगातार नाले में पानी भरता गया और पानी के अधिक भराव के चलते आस्थाई रूप से बनाई गई मिट्टी की मेड़ टूट गई. इसके बाद एक बार पुनः गंदे नाले का पानी नर्मदा नदी में मिलने लगा है. लिहाजा, अब इसे रोकने के लिए नगर निगम ने तैयारी कर ली है. आगामी 6 माह के भीतर जल मल शोधन संयंत्र स्थापित कर लिया जाएगा. उसके बाद नर्मदा नदी में मिलने वाले गंदे नालों के पानी से निजात मिलेगी.