जबलपुर।हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि उन्होंने आरक्षक भर्ती 2020 की चयन प्रक्रिया में भाग लिया था और सभी लिखित में पास हो गए थे. इसके बाद उन्हें शारीरिक परीक्षा में बुलाया गया. जिसमें भी सभी क्वालीफाई कर गए, सिर्फ उनके लिखित में आये नंबरों के आधार पर परिणाम निकलना था. जिस पर 12 नवंबर 22 को परिणाम निकाला गया. इसमे याचिकाकर्ताओं के अंतिम अंक भी दर्शाए गए, लेकिन उसमें पाया गया कि उनके अंक अपनी जाति वर्ग के अंतिम अंकों से अधिक हैं. अर्थात कट ऑफ़ अंकों से अधिक है. लेकिन फिर भी सभी याचिकाकर्ताओं को फेल बताया गया.
MP High Court मध्यप्रदेश में आरक्षकों को नियुक्ति आदेश देने से पहले हाई कोर्ट की परमिशन लेनी होगी - मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने एक याचिका में अंतरिम आदेश पारित कर शासन द्वारा पुलिस आरक्षकों को नियुक्ति आदेश देने से पहले अदालत की अनुमति (Appointment orders to Constables) लेने की शर्त (Take permission of MP High Court) लगा दी है. अर्थात पुलिस कांस्टेबल की नियुक्ति आदेश जारी करने से पहले हाईकोर्ट की अनुमति लेना आवश्यक होगी. हाईकोर्ट में यह मामला नर्मदापुरम निवासी रक्षा पटेल, टीकमगढ़ निवासी फूल सिंह राजपूत व छतरपुर निवासी कमलेश प्रजापति सहित 15 लोगों की ओर से दायर किया गया था.
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Jabalpur Court ने इंटरफेथ कपल्स को दी अंतरिम राहत, दो बालिग कर सकते हैं शादी
शासन को दो सप्ताह में देना होगा जवाब :याचिकाकर्ताओं ने जब शासन तथा कर्मचारी चयन मंडल से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि उनके रोजगार कार्यालय के पंजीयन में कोई त्रुटि है. इस पर आवेदकों की ओर से कहा गया कि उनका रोजगार पंजीयन कोविड-19 के चलते समाप्त हो गया था. जिसे उन्होंने शारीरिक परीक्षा से पहले नवीनीकरण करवा लिया था. फिर भी मौखिक रूप से यह गलत कारण बताकर उन्हें फेल बताया जा रहा है. जोकि उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है. इसके बाद न्यायालय ने उक्त अंतरिम आदेश देते हुए कर्मचारी चयन मंडल व मप्र शासन को दो सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह ने पक्ष रखा.