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कोरोना काल में ऑटो चालकों की बढ़ी परेशानी, नहीं चुका पा रहे किस्त, प्रशासन से लगाई मदद की गुहार

कोरोना की वजह से आज देश में हर कोई परेशान है, वहीं इसके चलते लगे लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोगों और दैनिक काम और मजदूरी करने वाले लोगों पर पड़ा है, ऐसे ही जबलपुर के ऑटो चालक भी इसकी वजह से परेशान हैं, और अब उन्हें निजी फाइनेंस कंपनियां किस्त के लिए परेशान कर रही हैं. देखिए ये रिपोर्ट..

Jabalpur
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Published : Oct 19, 2020, 7:52 AM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में भी मार्च 2020 को अचानक ही कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगाया गया, ये लॉकडाउन करीब 4 से 5 माह तक चला. अनलॉक 4 के बाद लोगों को छूट मिली, तो लोग घरों से बाहर निकलना शुरू हुए, साथ ही तमाम संस्थानों और परिवहन को भी छूट दी गई, चूंकि परिवहन में ऑटो संचालक भी आते हैं, जो कि यात्रियों को इधर से उधर ले जाने का काम करते हैं, बावजूद इसके अनलॉक में ऑटो चालकों की हालत ठीक नहीं है. आज 7 माह से ज्यादा का समय होने के बाद भी ऑटो चालक लॉक डाउन का दंश झेल रहे हैं. बहुत कम यात्री घरों से बाहर निकल रहे हैं, जिसके चलते ऑटो का काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. एक तो कोरोना काल, दूसरी तरफ निजी बैंकों द्वारा ऑटो चालकों से फाइनेंस की किस्त की वसूली करना, अभी भी जारी है, जिससे उन पर दोहरी मार पड़ रही है.

निजी बैंकों से परेशान ऑटो चालक

जबलपुर में करीब 7 हजार ऑटो, ज्यादातर निजी बैंकों से हैं फाइनेंस

जानकारी के मुताबिक जबलपुर जिले में करीब साढ़े सात हजार ऑटो संचालित होते हैं और इन ऑटो में करीब 3 हजार ऐसे हैं, जो कि बैंकों से फाइनेंस हैं. कोरोना संक्रमण के चलते ज्यादातर लोग सड़कों पर नहीं आ रहे हैं, और न ही ऑटो में सवारी कर रहे हैं, ऐसे में ज्यादातर ऑटो चालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, शहर में चलने वाले अधिकांश ऑटो रेलवे पर ही निर्भर होते हैं, ट्रेनों के न चलने का असर सीधे ऑटो चालकों पर भी पड़ रहा है, जिन ऑटो चालकों पर बैंक किस्त की समस्या नहीं है, उनका गुजारा तो ठीक हो रहा है, लेकिन जिन्होंने बैंक से लोन लेकर ऑटो खरीदा है, उनके सामने किस्त की बड़ी समस्या है, एक तो अपने परिवार को पालना,दूसरा ऑटो की किस्त देना, उनके लिए भारी पड़ रहा है.

निजी बैंक फाइनेंसर किस्त के लिए कर रहे परेशान

ऑटो चालक बताते हैं कि कोरोना वायरस के कारण यात्री बाहर नहीं निकल रहे हैं, जिससे उनकी कमाई नहीं हो रही है, वहीं सरकार की गाइडलाइन के चलते सिर्फ दो यात्री ही ऑटो में बैठा सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी आधी हो गई है, जिससे पेट्रोल का खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया है, ऊपर से बैंक की किस्त ने ऑटो चालकों का जीना दूभर कर दिया है. बैंक कर्मचारी ऑटो चालकों को किस्त के लिए परेशान कर रहे हैं, कुछ तो ऐसे हैं जो कि सीधे-सीधे धमकी देते हैं, कि अगर किस्त जमा नहीं होगी, तो ऑटो को जब्त कर लिया जाएगा.

सरकारी बैंकों से है कुछ हद तक राहत

ऑटो चालकों का कहना है निजी बैंक से फाइनेंस ऑटो को जहां लगातार परेशान किया जा रहा है, तो वहीं सरकारी बैंक में ऑटो चालकों को कुछ हद तक छूट दी गई है. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत जबलपुर जिले में बहुत से ऐसे ऑटो चालक हैं, जिन्होंने की सरकारी बैंक से ऑटो को फाइनेंस करवाया है. सरकारी बैंक से फाइनेंस ऑटो चालकों पर अभी तक किसी तरह का दबाव नहीं आ रहा है, वहीं दूसरी ओर निजी बैंक लगातार ऑटो चालकों को किस्त के लिए परेशान कर रहे हैं.

जबलपुर शहर में 12 से ज्यादा निजी बैंक

जबलपुर जिले में वर्तमान समय में करीब 12 से ज्यादा प्राइवेट बैंक संचालित हो रहे हैं इसमें से कुछ तो ऐसे हैं जो कि मन माने रेट पर वाहनों को फाइनेंस करते हैं, और फिर उनसे मनचाहा ब्याज भी वसूला करते हैं. लिहाजा ऑटो चालकों ने सरकार से मांग की है, कि सरकार उनकी ओर ध्यान दें, और जो भी बैंक संचालक उन पर दबाव बनाकर ऐसे समय में भी किस्त की मांग कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाए.

ऑटो चालकों की समस्याओं से जिला प्रशासन अनजान

लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक में ऑटो चालकों को आज भी बमुश्किल ही सवारी मिल रही है. वहीं निजी बैंक कंपनियों की किस्त को लेकर दबाव ऑटो चालकों पर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. लिहाजा जबलपुर शहर के हजारों ऑटो चालक परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन ऑटो चालकों की समस्या से पूरी तरह से अभी अनजान नजर आ रहा है, जबलपुर कलेक्टर का कहना है कि अगर कोई ऑटो चालक उनसे आकर इस विषय में शिकायत करता है, तो निश्चित रूप से इस पर कार्रवाई की जाएगी.

फाइनेंस की किस्त वसूलने के क्या हैं नियम ?

1. नोटिस देना जरूरी

बैंक ग्राहक के खाते को नॉन परफार्मिंग एसेट में तब डाला जाता है, जब बैंक से फाइनेंस करवाने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक किस्त का भुगतान नहीं करता है. इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर घोषित करने के लिए नोटिस देना जरूरी होता है, और जब 60 दिन होने के बाद भी व्यक्ति किस्त नहीं देता है, तो उसे फिर डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है.

2. संपत्ति का सही दाम पाने का होता है हक

संपत्ति की बिक्री से पहले बैंक का वित्तीय संस्थान संपत्ति का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करता है. इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करना जरूरी होता है.

3. धमकाने या जोर जबरदस्ती की इजाजत नहीं

कर्जदार से अपना लोन वसूलने के लिए बैंक रिकवरी एजेंटों की सेवाएं ले सकते हैं, पर वह अपनी हद पार नहीं कर सकते. इस तरह की थर्ड पार्टी एजेंट ग्राहक से मिल सकते हैं, पर उन्हें ग्राहकों को धमकाने या जोर जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं होता है. बैंक अपने ग्राहक से सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही मिल सकती है, हालांकि बैंक को ग्राहकों से बदसलूकी करने का अधिकार नहीं है. अगर इस तरह का दुर्व्यवहार बैंक करता है, तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक के उच्च अधिकारी से कर सकते हैं, और अगर बैंक में भी सुनवाई नहीं होती है, तो प्रशासन का दरवाजा खटखटाया जा सकता है.

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