जबलपुर। कोरोना संक्रमण के दौर में एंबुलेंस चालकों ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई है. कोरोना की दूसरी लहर में जब संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन की कमी आने लगी तो उस वक्त में इन एंबुलेंस चालकों ने समय पर मरीजो और उनके परिजनों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी परेशानी को दूर किया है, साथ ही कई लोगों की जिंदगी बचाई है.
- जबलपुर में 200 से ज्यादा एंबुलेंस
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जबलपुर शहर के एंबुलेंस चालकों ने बिना संक्रमण से डरे काम किया है और यह साबित किया है कि वह वाकई में प्रथम दर्जे के कोरोना वॉरियर हैं. जबलपुर में डायल 108 सहित सरकारी और निजी एंबुलेंस मिलाकर कुल 200 से ज्यादा एंबुलेंस का संचालन होता है. यह सभी एंबुलेंस कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए जीवनदायिनी वाहन बनकर सामने आईं हैं. मरीज की खबर मिलते ही यह तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाते हैं.
- कई बार समय पर नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस
हालांकि, इस साल कोरोना संक्रमण के दौर में जिले में सरकारी और निजी मिलाकर करीब 200 से ज्यादा एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं. बावजूद इसके कई मरीज ऐसे भी थे जिन्हें एंबुलेंस सेवा के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. मरीजों के परिजनों द्वारा कई बार संपर्क करने के बाद भी 108 एंबुलेंस नहीं आ सकी है.
- क्या कहते हैं स्थानीय लोग
जबलपुर में एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर स्थानीय निवासी विष्णु विनोदिया बताते हैं कि जिले में एंबुलेंस की कमी हैं. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का यह दावा पूरी तरह से फेल है कि वह हर मरीज के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने बताया कि बार-बार फोन लगाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आती. 104 को काल करो तो फोन को लाइन में डाल दिया जाता है, परिजन परेशान होते रहते है मजबूरन निजी वाहन की व्यवस्था कर मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है.