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रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस बजट में की कटौती, आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया का उत्पादन लक्ष्य घटा

12 अक्टूबर से देशव्यापी आयुध निर्माणी फैक्ट्रियों के कर्मचारियों ने हड़ताल का एलान कर दिया था, लेकिन इस हड़ताल को लेकर केंद्र सरकार और कर्मचारियों के बीच आखिरकार चीफ लेबर कमिश्नर को आना पड़ा और उनकी अध्यक्षता में एक बैठक हुई. जिसके बाद फिलहाल हड़ताल टाल दी गई थी. लेकिन निगमीकरण की बात फिर से जोर पकड़ रही है.

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Published : Nov 5, 2020, 11:42 PM IST

जबलपुर। केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के निगमीकरण करने को लेकर अभी हाल ही में कर्मचारियों ने भारी विरोध किया था. हालात यहां तक बन गए कि निगमीकरण के विरोध में पूरे देश भर की 41 सुरक्षा संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का मन बना लिया था, लेकिन आनन-फानन में चीफ लेबर कमिश्नर और कर्मचारी नेताओं की रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. बैठक में निर्णय लिया गया कि न ही रक्षा मंत्रालय निगमीकरण की बात करेगा और न कर्मचारी हड़ताल करेंगे.

आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया का उत्पादन लक्ष्य घटा

इस बात को लेकर रक्षा मंत्रालय और कर्मचारी नेताओं के बीच समझौता हो गया था और लगने लगा था कि निगमीकरण की बात खत्म हो गई है, लेकिन कुछ दिन बीते ही थे कि भारतीय सेना को मिल रहे रक्षा बजट पर सरकार ने कटौती करना शुरू कर दिया है. आईये जानते हैं कि रक्षा उत्पादन में कटौती को लेकर आयुध निर्माणी खमरिया में काम करने वाले कर्मचारी और भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष का इस मामले में क्या कहना है.

ऑडनेंस फैक्ट्री खमरिया

प्रोडक्शन लक्ष्य घटा 50 फीसदी

आयुध निर्माणी खमरिया में काम करने वाले कर्मचारी अर्नब दास ने बताया कि आयुध निर्माणी खमरिया को 1700 से 1800 करोड़ का काम मिला था. रक्षा मंत्रालय की ओर से बोला गया था कि साल के मध्य से इसे बढ़ाकर 2200 करोड़ कर देगें. लेकिन अचानक से रक्षा मंत्रालय के आदेश में प्रोडक्शन लक्ष्य को 1200 करोड़ कर दिया जाता है. मंत्रालय का यह फैसला काम कर रहे कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय है. कर्मचारी अर्नब दास ने बताया कि काम नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को नुकसान होगा. इशारा तो साफ है कर्मचारी ने बताया कि आयुध निर्माणी खमरिया को प्रोडक्शन टारगेट मिलता है. उनके मुताबिक इतिहास में यह पहली बार है कि प्रोडक्शन टारगेट देने के बाद उसमें कटौती की जा रही है.

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घट गया देश की सबसे बड़ी सुरक्षा संस्थान का उत्पादन

आयुध निर्माणी खमरिया को वित्तीय वर्ष 2020-21 में सेना से उत्पादन लक्ष्य जो मिला था वो करीब 2200 करोड़ का था, इस लक्ष्य को कोराना काल होने के बावजूद भी पूरा करने में कर्मचारी जुटे हुए थे, कर्मचारियों ने करीब 467 करोड़ का उत्पादन भी कर चुके थे लेकिन अचानक से ही आयुध निर्माणी खमरिया के उत्पादन का लक्ष्य घटाकर 1200 करोड़ रुपए का कर दिया जाता है.

कटौती और कर्मचारियों की चिंता

रक्षा बजट में कटौती के फैसले से फैक्टरी प्रशासन और कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में अब आयुध निर्माणी के कर्मचारियों के सामने फैक्टरी में कम काम होने की समस्या खड़ी हो गई है. अचानक से आयुध निर्माणी खमरिया में उत्पादन की कमी को लेकर भले ही फैक्ट्री के अधिकारी कुछ भी बोलने से हिचक रहे हैं. वहीं फेडरेशन के पदाधिकारियों ने इस पर तमाम तरह के सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं.

निजीकरण की ओर इशारा

भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी का कहना है कि उत्पादन की कटौती करना निश्चित रूप से यह पूरा रुख निजी हाथों में सौंपा जाना हो सकता है. पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी की माने तो हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने करीब 200 निजी कंपनियों को गोला बारूद बनाने के ठेके दिए हैं, निश्चित रूप से सरकारी सुरक्षा संस्थानों में कटौती करना कहीं न कहीं निजी कंपनियों को बढ़ावा देने जैसा है.

अभी तक 467 करोड़ का हो चुका है उत्पादन

आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में सितंबर के अंत तक करीब 467 करोड़ का गोला बारूद उत्पादन किया जा चुका है, सेना के तीनों अंग, आर्मी के लिए 270 करोड़, नेवी के लिए 130 करोड़ और एयर फोर्स के लिए 128 करोड़ का गोला बारूद उत्पादन अभी तक किया है. वर्तमान में भी आयुध निर्माणी में सेना की मांग पर गोला बारूद बनाया जा रहा है बावजूद इसके अचानक से रक्षा बजट में कटौती होने से न सिर्फ फैक्टरी प्रशासन बल्कि कर्मचारियों की भी चिंता बढ़ गई है. अब देखना यह होगा कि घटे हुए उत्पादन को लेकर कर्मचारी क्या रुख अपनाते हैं.

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