जबलपुर। पुलिस अफसरों द्वारा जेब काटें जाने के मामलों में फर्जी गवाह बनाना अब भारी पड़ सकता है. राज्य मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा के परिपालन में जबलपुर, भोपाल, इंदौर और ग्वालियर के एसपी व रेल एसपी को आदेश जारी किए हैं, कि अगर कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को फर्जी पॉकेट विटनेस बनाता है तो ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी.
फर्जी गवाह बनाने वाले पुलिस अफसरों की अब खैर नहीं, ये पूरा मामला
पुलिस द्वारा लोगों के जेब काटे जाने के मामले में फर्जी गवाह बनाना अब भारी पड़ सकता है. राज्य मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा में आदेश जारी किए गए हैं कि अगर कोई पुलिस अधिकारी फर्जी गवाह बनाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मानव अधिकार आयोग के उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक आयोग के समक्ष लगातार इस संबंध में शिकायतें आ रही थी. शिकायतों के अनुसार थानों, चौकियों के पास, बस, रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द व्यापार करने वाले ऑटो व रिक्शा चालकों जैसे लोगों को भी लगभग हर मामले में पुलिस गवाह बना देती है. जबकि यह दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है. इससे अक्सर अपराधियों के अदालत से बच निकलने की संभावना रहती है. हाल ही में आयोग के समक्ष सिंगरौली जिले की एक शिकायत आई इसमें एक ही व्यक्ति को जबरन चार मामलों में फर्जी गवाह बना दिया गया था.
जिसके चलते मानव अधिकार आयोग की मांग पर पुलिस को दिशा-निर्देश दिए हैं कि पुलिस किसी को जबरन गवाह बनाने के लिए बाध्य किया जा रहा है तो थाना प्रभारी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही होगी. आपराधिक प्रकरणों में एक ही व्यक्ति को बार बार कई प्रकरणों में गवाह ना बनाया जाए इस बात का साक्षी कौन है. इस संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता में स्पष्ट प्रावधान है जिनका उनका पालन किया जाए.