जबलपुर।जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ. एके नायडू ने स्ट्रॉबेरी की खेती की है. शुरुआती दौर में खेती का कुछ लाभ भी मिला है, जो कि उत्साह बढ़ाने वाला है. डॉ. नायडू ने अपने खेत के 10 डिसमिल में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती कर लगभग 600 किलो का उत्पादन कर चुके हैं. बाजार में इस फल की कीमत 200 से 300 रुपए प्रति किलो है. (strawberry farming in jabalpur)
स्ट्रॉबेरी फार्मिंग की ऐसे मिली प्रेरणाः स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे किसानों की किस्मत बदल सकती है यह बता रहे है डॉ. एके नायडू. जेएनकेवीवी से रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक ने पनागर के पास स्थित जलगांव में 10 डिसमिल जमीन पर स्ट्रॉबेरी लगायी है. उन्होंने बताया कि जबलपुर सैन्य क्षेत्र में रहने वाले सेना के कई अधिकारी ट्रांसफर के साथ गमले में स्ट्रॉबेरी के पौधे भी लेकर आया करते थे. इन स्ट्रॉबेरी की लताओं में फल भी लगा होता है. इसी से उन्हें प्रेरणा मिली कि क्यो न यहां भी स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए. (strawberry farming method)
डरते-डरते शुरू की खेतीः डॉ. नायडू ने 10 डिसमिल खेत में डरते हुए स्ट्राबेरी की खेती प्रायोगिक तौर पर शुरू की थी. अगस्त 2021 में टिश्यू कल्चर के पौधे लाकर रोपे थे. 15 से 20 रुपए प्रति पौधे की कीमत पड़ती है. डॉ. नायडू ने 20 हजार पौधे लगाए थे. स्ट्रॉबेरी की रोपाई क्यारी से क्यारी के बीच डेढ़ फीट और पौधे से पौधे की दूरी एक फीट रखते हुए लगाए गए. स्ट्राबेरी का पौधा लता प्रजाति का होता है. एक पौधे से तीन साल तक उपज ले सकते हैं. इसे हर साल शिफ्ट भी करना पड़ता है. जब तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है तो इसमें फल अच्छी मात्रा में दिखने लगता है. (price of strawberry in mp)
स्ट्रॉबेरी का मिलता है अच्छा भावः डॉ. नायडू ने बताया कि फल हरा होकर पकने पर लाल हो जाता है. फिर उसे 200-200 ग्राम के पैकेट में पैक कर फल मंडी में भेजा जाता है. अभी तक 200 से 300 रुपए प्रति किलो का भाव मिल चुका है. शुरुआत में भाव अच्छा मिलता है. हालांकि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, तो इसकी कीमत कुछ कम हो जाती है. किसान परंपरागत तरीके से खेती करता है, जिससे उसे अच्छी कीमत नहीं मिलती है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयोग के तौर पर स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई है. मौसम साथ देता है, तो मई तक उत्पादन भी मिलेगा. (benefit of strawberry farming)