जबलपुर।मन में लगन और जीवन में जज्बा हो तो फिर जिंदगी जीने के लिए कोई उम्र बाधक नहीं बनती है और न ही फिर किसी की जरूरत पड़ती है. हम बात कर रहे हैं, मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने वाली 77 साल की बुजुर्ग महिला गोमती प्रजापति (Old lady Gomati Prajapati) की. बच्चों ने जब उनका साथ छोड़ दिया तो भगवान श्रीगणेश (Lord Shri Ganesh) ने उनका हाथ थाम लिया. भगवान गणेश की उन पर आज इतनी कृपा है कि 77 साल की उम्र में भी वो अपने पैरों पर खड़ी हैं. इतना ही नही गोमती बाई आज दूसरों के लिए भी मिशाल बन गई हैं.
पति के देहान्त के बाद बच्चो ने किया किनारा
जबलपुर के अधारताल में रहने वाली गोमती प्रजापति के पति का कुछ साल पहले निधन हो गया. बच्चों को अब बूढ़ी मां खटकने लगी थी. गोमती अपने आपको अकेला पाकर गायत्री पीठ मंदिर (Gayatri Peeth Temple) पहुंच गई. जहां से उन्होंने अपने नए जीवन की शुरुआत की. गोमती प्रजापति ने इंदौर से आए एक व्यक्ति से गायत्री पीठ में सुपारी के गणेश जी बनाना सीखा. कुछ ही दिनों में गोमती मूर्ति बनाने में इतनी निपुण हो गईं कि उन्हें लगने लगा वो अपने पैरों में खड़ी हो गईं हैं. अब उन्हें किसी की मदद की जरूरत नहीं है.
बुढ़ापा नही आया आड़े हाथ
शुरू में गोमती को भी लगा कि उसकी उम्र 75 के पार है. इस काम में सफल हो जाएगी या नहीं. यह सब चिंता छोड़कर भगवान गणेश की लगन में धुन गोमती ने छोटे स्तर से शुरू किए गए काम को आज खूब फैला लिया है. गोमती बताती हैं कि गायत्री मंदिर में कुछ संस्था के लोगों से मुलाकात हुई जो कि उन्हें मूर्ति बनाने के लिए कच्चा माल जैसे- सुपारी, लकड़ी के गुट्टे, कपड़ा, मोती के माला, रंग इत्यादि उपलब्ध करवाते हैं.
बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करतीं हैं कमाई का 17% भाग
अपने एक कमरे के घर में गोमती बाई दिन भर सुपारी के गणेश जी बनाने में व्यस्त रहती हैं. गोमती एक से तीन दिन के भीतर 10 से 15 गणेश जी बनाकर तैयार कर देती हैं. इसके बाद जो भी उनको मेहनताना मिलता है, उस पैसे को वह गरीब बच्चों (Poor Student Education) की पढ़ाई पर खर्च कर देती हैं. बाकी के पैसों से अपना जीवन यापन करती हैं. गोमती को जो भी देखता है उन्हें यकीन नहीं होता कि वह इस उम्र में भी काम कर रही हैं और दूसरों की मदद कर रही हैं.