जबलपुर। शहर में नागपचंमी के मौके पर 3 दिन दिवसीय कुश्ती का आयोजन किया गया है, जिसका आज आखिरी दिन है. इसमें जिलेभर के पुरुष और महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया. साथ ही सभी को कुश्ती के दांव-पेंच भी सिखाए गए. जबलपुर के शिवाजी मैदान में बीते 115 सालों से परंपरा के मुताबिक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता आ रहा है.
3 दिन दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन, पहलवानों ने दिखाए दमखम - पहलवान
शहर में बीते 115 सालों से चली आ रही कुश्ती प्रतियोगिता का इस बार भी आयोजन किया गया. जिसमें पुरुष और महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया.
जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव बताते हैं कि अखाड़ों की मिट्टी में घी, हल्दी मट्ठा और चंदन डाला जाता है, ताकि अगर कुश्ती करते हुए किसी पहलवान को चोट लग जाए, तो मिट्टी की आयुर्वेदिक क्षमता ही इस चोट को खत्म करने के लिए काफी हो. अर्जुन यादव का कहना है भले ही आज गद्दों पर कुश्ती हो रही हो, लेकिन जिन पहलवानों ने कुश्ती में नाम कमाया है वे ज्यादातर मिट्टी की कुश्ती से ही निकलकर आए हैं, इसलिए जबलपुर में हम अखाड़ों में पहलवानों को मिट्टी में ही कुश्ती में अभ्यास करवाते हैं, ताकि जब वे गद्दे पर जाएं तो बेहतर प्रदर्शन कर सकें.
जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव ने कहा कि पहले मिट्टी की कुश्ती में लड़कियां भाग नहीं लेती थीं, लेकिन अब वे भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं. बता दें कि कुश्ती के आयोजन में 100 से ज्यादा पहलवान अपना दमखम दिखा रहे हैं.