इंदौर।रेडियोग्राफी के दौरान होने वाले घातक विकिरण से बचाव के तौर पर भी मनाया जाता है. माना जाता है कि, वर्ल्ड रेडियोग्राफी-डे (World Radiography Day 2022) मनाने की शुरुआत 1996 में मध्य प्रदेश के शहर इंदौर से हुई थी. जिसके प्रमाण अंतरराष्ट्रीय जर्नल एवं विभिन्न रिकॉर्ड में भी मौजूद हैं, दरअसल इंदौर के विभिन्न अस्पतालों में होने वाले एक्स-रे करने वाले कुछ रेडियोग्राफर एक्स-रे के विकिरण के घातक विकिरण का शिकार हो गए थे. इसके बाद यहां उस जमाने में सक्रिय मध्य प्रदेश रेडियोग्राफर एसोसिएशन ने विभिन्न अस्पतालों में एक्स-रे करने के दौरान विकिरण के दुष्प्रभाव खेलने वाले लोगों के लिए जन जागरण अभियान की शुरुआत की थी.(x-ray radiation) (Radiography techniques)
दुष्प्रभाव से बचाने के लिए प्रोटोकॉल:शहर के तमाम अस्पतालों के अलावा स्कूल-कॉलेज सार्वजनिक स्थानों के अलावा शहर के तमाम शिक्षा संस्थानों में इस आशय की जानकारी दी गई. वहीं आम लोगों के अलावा रेडियोग्राफर को एक्स-रे विकिरण के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए कुछ प्रोटोकॉल तय किए गए. इसके बाद जन जागरण के तौर पर ही 8 नवंबर को सभी रेडियोग्राफर मिलकर इस दिन जागरूकता संबंधी कार्यक्रम करने लगे धीरे-धीरे यह वाली और नतीजा यह हुआ कि 8 नवंबर को भारत के अलावा अन्य देशों में भी वर्ल्ड रेडियोग्राफी डे मनाने की शुरुआत हुई.
विकिरण का शिकार:मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश रेडियोग्राफर एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवाकांत वाजपेई बताते हैं कि 90 के दशक तक एक्स-रे किरणों के विकिरण को रेडियोग्राफर भी ज्यादा नहीं मानते थे, लेकिन जब धीरे-धीरे कई रेडियोग्राफर त्वचा के कैंसर और एक्स-रे करने के कारण तरह-तरह के विकिरण का शिकार हुए तो पहले तो यह लोगों को समझ में नहीं आया कि एक्स-रे करने वालों को ऐसा क्यों हो रहा है.