इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार लॉटरी (Lottery) को एक बार फिर शुरू करने की योजना बना रही है लेकिन लॉटरी किस तरह से होगी इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है. इस मामले में लोगों के पुराने जमाने के लोगों के मिले-जुले अनुभव रहे हैं. इंदौर शहर में उस जमाने को आज भी लोग भूले नहीं है, जब लॉटरी खुला करती थी. इंदौर शहर सालों से आर्थिक राजधानी रहा है और यहां पर पैसों से संबंधित कोई भी व्यापार हो या इन्वेस्टमेंट हो तो यहां के लोग पीछे नहीं हटते हैं. एक जमाने में इंदौर का सट्टा देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित था.
सुंदरलाल पटवा की सरकार में चलता था लॉटरी सिस्टम
मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा (Sunderlal Patwa) की सरकार में भी लॉटरी शुरू हुई थी, उस समय लॉटरी चलती थी, जिसे खरीदकर कई लोग अपना भाग्य आजमाते थे. इस दौरान कई लोगों की किस्मत बदली, तो कई लोग बर्बाद हो गए. उन्हीं में से कुछ लोगों ने ईटीवी से अपने पूर्व के अनुभव साझा किए हैं.
एमपी के एक शख्स को खुली थी 5 लाख की लॉटरी
मल्हारगंज (Malharganj) क्षेत्र में रहने वाले कृष्णराय पुरोहित (Krishna Rai Purohit) का कहना था कि उनके चाचा विष्णु दत्त पंचारिया ने अपने बेटे अरुण पंचारिया, जो उस वक्त 5 साल के थे, के नाम से ₹1 की लॉटरी ली थी. लॉटरी लेने के बाद करीब 15 दिनों के बाद उन्हें अचानक से पांच लाख रुपये की लॉटरी (5 lakh rupees lottery) खुली थी. उस समय उन्हें सरकार ने लॉटरी की रकम में से टैक्स के 1 लाख 35 हजार रुपए काटकर बची हुई रकम दी थी. वे एमपी के एकमात्र व्यक्ति थे, जिनके नाम उस समय 5 लाख की लॉटरी खुली थी.
लॉटरी के विजेता का पूरे प्रदेश में हुआ था सम्मान