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लॉटरी को भूले नहीं है इंदौर के लोग, कई हुए बर्बाद, तो किसी का बदला जीवन, जानिए कब 5 साल के बच्चे को लगी थी 5 लाख की लॉटरी

मध्य प्रदेश में सरकार ने लॉटरी और सट्टा खेलने की अनुमति दे दी है. सरकार के इस फैसले से लोगों की सालों पुरानी यादें ताजा हो गई है. लोग उस दौर में पहुंच गए हैं, जब मध्य प्रदेश में सरकार लॉटरी खुलवाती थी. उस समय लॉटरी ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी, तो कई लोग बर्बाद हो गए.

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Published : Sep 8, 2021, 10:28 PM IST

लॉटरी को भूले नहीं है इंदौर के लोग
लॉटरी को भूले नहीं है इंदौर के लोग

इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार लॉटरी (Lottery) को एक बार फिर शुरू करने की योजना बना रही है लेकिन लॉटरी किस तरह से होगी इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है. इस मामले में लोगों के पुराने जमाने के लोगों के मिले-जुले अनुभव रहे हैं. इंदौर शहर में उस जमाने को आज भी लोग भूले नहीं है, जब लॉटरी खुला करती थी. इंदौर शहर सालों से आर्थिक राजधानी रहा है और यहां पर पैसों से संबंधित कोई भी व्यापार हो या इन्वेस्टमेंट हो तो यहां के लोग पीछे नहीं हटते हैं. एक जमाने में इंदौर का सट्टा देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित था.

लॉटरी को भूले नहीं है इंदौर के लोग

सुंदरलाल पटवा की सरकार में चलता था लॉटरी सिस्टम

मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा (Sunderlal Patwa) की सरकार में भी लॉटरी शुरू हुई थी, उस समय लॉटरी चलती थी, जिसे खरीदकर कई लोग अपना भाग्य आजमाते थे. इस दौरान कई लोगों की किस्मत बदली, तो कई लोग बर्बाद हो गए. उन्हीं में से कुछ लोगों ने ईटीवी से अपने पूर्व के अनुभव साझा किए हैं.

एमपी के एक शख्स को खुली थी 5 लाख की लॉटरी

मल्हारगंज (Malharganj) क्षेत्र में रहने वाले कृष्णराय पुरोहित (Krishna Rai Purohit) का कहना था कि उनके चाचा विष्णु दत्त पंचारिया ने अपने बेटे अरुण पंचारिया, जो उस वक्त 5 साल के थे, के नाम से ₹1 की लॉटरी ली थी. लॉटरी लेने के बाद करीब 15 दिनों के बाद उन्हें अचानक से पांच लाख रुपये की लॉटरी (5 lakh rupees lottery) खुली थी. उस समय उन्हें सरकार ने लॉटरी की रकम में से टैक्स के 1 लाख 35 हजार रुपए काटकर बची हुई रकम दी थी. वे एमपी के एकमात्र व्यक्ति थे, जिनके नाम उस समय 5 लाख की लॉटरी खुली थी.

लॉटरी के विजेता का पूरे प्रदेश में हुआ था सम्मान

कृष्ण राय पुरोहित (Krishna Rai Purohit) का कहना था कि उनके चाचा विष्णु दत्त पंचारिया नीमच जिले के मनासा तहसील में रहते थे. वहीं पर वे शिक्षक थे. उसी दौरान उन्होंने अपने 5 साल के बेटे के नाम लॉटरी खरीदी थी. लॉटरी लगने पर उनके विज्ञापन छपे थे, और कई जगह पर उनका सम्मान भी हुआ था. उस समय 5 लाख रुपए की रमक काफी अहमियत रखती थी. ऐसे में लॉटरी लगने के बाद विष्णु दत्त पंचारिया काफी फेमस हो गए थे.

सराफा, मल्हारगंज के लोगों में था लॉटरी को लेकर उत्साह

पुराने इंदौर में सराफा बाजार (Sarrafa Market), मल्हारगंज (Malharganj), जिंसी (Jincy) ऐसे क्षेत्र थे जहां पर छोटी-छोटी जगहों पर लॉटरी बेचने वाले के काउंटर लगे हुए थे. जहां पर सुबह से ही लोग लॉटरी के टिकट खरीदने के लिए जुट जाते थे. उस समय ज्यादातर लोगों के पास कोई रोजगार नहीं था तो अधिकतर लोग लॉटरी के माध्यम से ही अपनी भाग्य आजमाते रहते थे. जिनमें से कुछ लोगों को ही इनाम मिलता था, तो कुछ लोग अपने पास मौजूद पैसों को भी गवां दिया करते थे. इस लाटरी के टिकट के कारण ही कई लोगों ने उस समय आत्महत्या तक की.

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ऑनलाइन सिस्टम को रखना होगा अपडेट

जिन लोगों ने सुंदरलाल पटवा की सरकार में लॉटरी (Lottery) सिस्टम देखा है, उन लोगों का कहना है कि जिस तरह से आज ऑनलाइन सिस्टम मौजूद है, उस हिसाब से लॉटरी सिस्टम को भी अपडेट रखना होगा, तभी यह सफल हो पाएगा, वरना इसमें खामियां होने पर स्थितियां बिगड़ सकती है.

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