इंदौर। बिन पानी सब सून पानी बिना ना उबरे मोती मानस चून, कबीर दास की ये पंक्तियां आजकल प्रदेश के उस शहर में चरितार्थ हो रही हैं, जिसे लेकर मान्यता है कि 'मालव माटी धीर गंभीर पग-पग रोटी डगडग नीर. यहां बात की जा रही है मिनी मुंबई की. जहां के द्वारिकापुरी इलाके में इन दिनों जल संकट मंडरा रहा है. दरअसल यहां लोगों के घरों में नलों के कनेक्शन तो हैं, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है. किसी को कनेक्शन लिए 7 साल हो चुके हैं, फिर भी ये नल हैं कि ये बूंद पानी नहीं दे रहे. द्वारकापुरी क्षेत्र के लोग त्रस्त हो गए तो परेशान होकर सभी ने सड़कों पर बैनर टांग दिए हैं कि पानी नहीं तो वोट नहीं. ये बात और है कि जिम्मेदार इन लोगों की परेशानी देखने के बावजूद उल्टा लोगों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना पानी मिले ही नगर निगम के भेजे गए बिल भर रहे हैं. फिर भी बूंद-बूंद को मोहताज हैं. पूरे इलाके में टैंकर के जरिए पानी की सप्लाई की जाती है. जिसमें हर घर को फिक्स मात्रा में पानी दिया जाता है. यहां की रहने वालीं एक महिला बतातीं है कि उनके घर में पांच सदस्य हैं एक छोटा बच्चा भी. टैंकर से उन्हें महज पांच डब्बा पानी ही दिया जाता है. यही कहानी हर घर की है.
द्वारकापुरी इलाके की गली नंबर 3 में के निवासी नगर निगम और पार्षदों को कोसते नजर आते हैं. यहां महिलाएं कई कई दिनों तक पानी के बिना गुजर-बसर करती हैं. तो पुरुष नलों के अलावा पानी के दूसरे विकल्प तलाशते रहते हैं. लाख शिकायतें करने के बावजूद पानी के जो टैंकर यहां भेजे जाते हैं वे भी मांग की तुलना में सीमित मात्रा में पानी देकर आगे बढ़ जाते हैं.
हालात ये हैं कि यहां पानी के बर्तन अब स्थाई रूप से सड़कों पर जम चुके हैं. घरों के सामने पानी के मोटरों के कनेक्शन और ट्यूबवेल भी यहां महज दिखावे से कम नहीं हैं. क्योंकि पानी नहीं होने के की वजह से ये मोटर चल नहीं पातीं. ट्यूबवेल से पानी ही नहीं आता.