इंदौर। जिले के गौतमपुरा समीपस्थ ग्राम नोलाना में भीषण जल संकट है. 2000 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव में सरकार की ओर से पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई. ये आलम यहां 12 महीने रहता है. परन्तु गर्मी के दिनों में तो यहाँ पूरा गांव पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करता है. गांव के जितेंद्र शर्मा, गणेश राव ने बताया कि गांव से 150 की मीटर की दूरी पर चंबल नदी गुजरती है, परंतु हमारे गांव में पीने के पानी की व्यवस्था वर्षों से न सरकार ने की, न ही सांसद ने और न ही किसी विधायक ने. हर वर्ष गले की प्यास बुझाने के लिए हमे जद्दोजहद करना पड़ती है.
बोरिंग का पानी पीने लायक नहीं :गांव में आसपास कितने ही बोरिंग करवाए पर सब जगह गंदा और खारा पानी निकलता है, जिसे पीना यानी अपनी जान के साथ खिलवाड़ करना है. ग्राम के राधेश्याम सैनी ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. रोजाना ग्रामीणों को या तो 2 से 4 किमी दूर किसी के खेत से पानी के डिब्बे भरकर घर लाना पड़ता है या कई घंटे लंबी कतार में खड़े होने के बाद अपने निजी बोरिंग से ग्रामवासियों को अपनी प्यास बुझाना पड़ती है. गांव के दिलावर सिंह दरबार और उमेसिह का खेत 1 किमी दूर है, जहां उनके बोरिंग में मीठा पानी है. ग्रामीणों की सुविधा के लिए दरबार ने निजी खर्च से अपने खेत से गाँव तक 1 किमी कि पाइप लाइन डाली और मोटर लगवाई है, जिसमें सुबह 7 बजे से वह अपने घर पर गांव वालों को पीने का पानी देते हैं.