इंदौर (PTI)। प्राचीन समय में दस्तावेजों को आने वाली पीढ़ियों के खातिर सुरक्षित रखने के लिए ताम्रपत्रों का इस्तेमाल होता था, लेकिन इंदौर में ताम्रपत्रों से 57 किलोग्राम वजनी अनूठी पुस्तक रची गई है. भारतीय नागरिकों के केवल एक-एक रुपये के चंदे से तैयार इस पुस्तक में विश्व के 193 देशों की पहचान से जुड़े 6,000 से ज्यादा चिन्ह उकेरे गए हैं. भारत की G-20 अध्यक्षता के मौजूदा दौर में चर्चित हो रही इस पुस्तक को शीर्षक दिया गया है-"संविधान से देश".
किताब में लगा 57 किलोग्राम पीतल: इस पुस्तक को तैयार करने का बीड़ा उठाने वाले स्थानीय वकील लोकेश मंगल ने बताया कि "कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत की प्रेरणा से छह साल के कड़े परिश्रम के बूते तैयार किताब में 57 किलोग्राम पीतल लगा है और इसमें करीब 42,000 रुपये का खर्च आया है. लोकेश मंगल ने कहा कि ताम्रपत्रों से बनी इस किताब के लिए भारत के 200 शहरों के 42,000 नागरिकों से केवल एक-एक रुपये का चंदा लिया गया है. जिनमें समाज के अलग-अलग तबकों के लोग शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ताम्रपत्रों की इस कृति की नींव में भारत की "वसुधैव कुटुम्बकम" (पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है) और "सर्वे भवन्तु सुखिन" (सब सुखी हों) की उदार भावनाएं हैं."