इंदौर।यूं तो मंदिर की घंटियों और मुर्गों की बांग का कोई तालमेल नहीं है, लेकिन इंदौर में एक ऐसा भी मंदिर है. जहां भक्तों की मन्नतें मुर्गों के बिना अधूरी रहती हैं. यही वजह है कि मन्नत पूरी होते ही कोई ना कोई भक्त मंदिर में मुर्गा छोड़ जाता है. इसके बाद संबंधित मुर्गे को माता का भक्त या गण मान लिया जाता है. जिसे मंदिर में ही रखा जाता है. अब आलम यह है कि माता के मंदिर में सुबह और शाम की आरती के साथ मुर्गों की बांग भी गूंजती है.
दरअसल इंदौर वायर चौराहे पर मौजूद मां कालका धाम मंदिर की मान्यता है कि जिस किसी भक्त की मन्नत मां काली पूरी करती हैं, वे चढ़ावा के रुप में माता को एक जीवित मुर्गा माता की विशाल मूर्ति के समक्ष अर्पित करता है. प्रार्थना और मन्नतें पूरी होने का यह सिलसिला यहां तीन दशकों से चल रहा है. इस दौरान सैकड़ों भक्त ऐसे आए जो अपनी प्रार्थना के पूर्ण होने पर यहां मुर्गे छोड़ गए. मंदिर में एक दौर ऐसा आया जब मुर्गों की संख्या 50 से ज्यादा हो गई. नतीजतन मुर्गों के रहने की व्यवस्था मंदिर के तलघर में करनी पड़ी. हालांकि अभी भी सभी मुर्गे मंदिर के तलघर में ही रहते हैं.
मन्नत पूरी होने पर चढ़ावे में आते हैं मुर्गें
मन्नत के मुर्गे होने के कारण माता के प्रकोप के डर से कोई भी इन्हें नहीं छोड़ता शहर में यही एकमात्र जगह ऐसी है जहां कई कई साल पुराने मुर्गे मौजूद हैं. जिनके दाना पानी की व्यवस्था भक्तों के अलावा स्थानीय दुकानदार करते हैं. फिलहाल मंदिर परिसर में 20 मुर्गे हैं. हालांकि यहां जितने भी मुर्गे मारे गए वे किसी न किसी बीमारी अथवा बाहरी कुत्तों या बिल्लियों का शिकार बने लेकिन जितने बचे हैं वह सभी माता के भक्त के बतौर मां कालका के गण भी माने जाते हैं. जो कई सालों से मंदिर परिसर में मंदिर की घंटियों के साथ बांग देते नजर आते हैं.