इंदौर।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट 2020-21 देश के सामने रखा. आम बजट को लेकर देशभर के लोगों को काफी उत्साह था, वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट से कहीं लोग संतुष्ट नजर आए तो कहीं लोग इसमें और भी उम्मीदों को लेकर नाखुश नजर आए.
किसानों के लिए किए जाने थे बड़े बदलाव
ईटीवी भारत ने जब बजट को लेकर युवाओं से बातचीत की तो युवाओं का कहना था कि सरकार को देश के किसानों के लिए राहत देने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है. बजट से भी यहीं उम्मीद लगाई जा रही थी कि किसानों को दी जाने वाली सम्मान निधि में बढ़ोतरी होगी. आम किसानों को इसका फायदा होगा परंतु यह नहीं हो सका. वर्तमान में किसानों के लिए बड़े बदलाव की आवश्यकता है ताकि उन्हें राहत मिल सके.
टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाना चाहिए था
वर्तमान बजट में टैक्स की स्लैप में कोई बदलाव नहीं किया गया है. उम्मीद जताई जा रही थी कि टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएगा, जिससे आम जनता को वर्तमान स्थिति को देखते हुए राहत मिलेगी. परंतु किसी भी तरह की टैक्स ले में बदलाव नहीं होने के चलते आम जनों की उम्मीद पर यह बजट खरा नहीं उतरा है.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी रखना चाहिए फोकस
देश में छोटे और बड़े दोनों ही उद्योगों को बढ़ावा मिल सके और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो सके इसके लिए सरकार को नए कदम उठाने की आवश्यकता है. उम्मीद जताई जा रही थी कि इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा बड़ा बजट दिया जाएगा. परंतु जिस तरह की उम्मीद थी उस तरह का बजट इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बजट नहीं दिया गया, जो बजट दिया गया है उससे भी इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने की संभावनाएं हैं.
आत्म निर्भर भारत के लिए किया जाना चाहिए काम
शहर के युवाओं का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा कहे जाने वाले आत्मनिर्भर भारत के लिए लगातार सरकार को काम किया जाना चाहिए. वर्तमान में युवाओं के पास शासकीय और निजी दोनों ही क्षेत्रों में नौकरियों की कमी है. ऐसे में सरकार को नौकरी मुहैया कराने के लिए भी कदम उठाना चाहिए. ताकि छात्र और युवा दोनों ही अपनी कार्यकुशलता का उपयोग करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें.
बजट की जिस तरह से उम्मीद जताई जा रही थी, युवाओं के अनुसार सरकार का बजट महामारी के बाद उस तरह से सामने नहीं आया है. उम्मीदों के अनुरूप बजट नहीं होने से युवा नाखुश नजर आए. युवाओं का कहना रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर भी शासन को इस बजट के माध्यम से कई कदम उठाने की आवश्यकता थी. परंतु पूरे बजट में ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आई.