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बच्चों की खरीद फरोख्त मामले में, दो बड़े हॉस्पिटल के डॉक्टर भी गिरोह में शामिल - बच्चों की खरीद फरोख्त

इंदौर शहर में महिला थाना और क्राइम ब्रांच पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर नन्हे मासूम बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के लोगों को गिरफ्तार किया है. इस कार्रवाई में दो बड़े हॉस्पिटल के डॉक्टरों के नाम भी सामने आए हैं.

Indore News
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Published : Sep 12, 2020, 6:16 PM IST

इंदौर। शहर में महिला थाना और क्राइम ब्रांच पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर नन्हे मासूम बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के मुख्य मास्टरमाइंड बबलू उर्फ तेजकरण और शिल्पा ने पुलिस की पूछताछ में कई बड़े राज उगले हैं. जिसमें बच्चों की खरीद फ़रोत में दो डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं. वहीं पुलिस ने इस पूरे मामले में गिरोह के अन्य 2 सदस्य सहित बच्चा खरीदने वाली प्रोफेसर की पत्नी को अपनी गिरफ्त में लिया है, जिनके पास से 2 माह और 2 साल के बच्चे को बरामद किया है, दो बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है. इन बच्चों की खरीद-फरोख्त का सौदा एक से लेकर तीन लाख रुपए तक गिरोह के द्वारा किया जाता था.

प्लानिंग से किया गिरफ्तार

दरअसल, पूरे मामले पर नजर डालें तो ईवा वेलफेयर समिति की अध्यक्ष भारती द्वारा इंदौर डीआईजी अपनी एक महिला मित्र के साथ शिकायत की गई थी कि उनसे एक बच्ची को बेचने के लिए एक महिला द्वारा एक लाख रुपए की मांग की गई है. शिकायत को गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच और महिला थाना पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाकर पुलिस एनजीओ अध्यक्ष भारती के साथ मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने बच्ची का सौदा करने के लिए उन्हें मालवा मिल स्थित एक इलाके में बुलाया, जैसे ही बच्चा बेचने वाले गिरोह ने बच्चा लेकर भारती से संपर्क किया तभी मौके पर मौजूद पुलिस की टीम ने एक महिला और पुरुष को हिरासत में लेकर 10 दिन के बच्चे मासूम बच्चे को बरामद किया.

ऐसे हुआ खुलासा

पुलिस की पूछताछ में गिरोह के मास्टरमाइंड ने अपना नाम बबलू , वहीं साथी महिला ने अपना नाम शिल्पा बताया. जब बच्चे के बारे में जानकारी ली गई तो पहले तो पुलिस को गुमराह करते रहे लेकिन, सख्ती से पूछताछ में गिरोह ने अपने अन्य सदस्यों के नामों का खुलासा कर दिया. इन नामों की फेहरिस्त में शहर के दो बड़े डॉक्टरों के नाम भी सामने आए हैं. गिरोह ने कुछ दिन पहले भोपाल में प्रोफेसर की पत्नी से दो बच्चों का लाखों रुपए में सौदा करने की बात कही, जिस पर पुलिस टीम ने एलआईजी स्थित मकान में दबिश देकर रीत मकवाने नाम की महिला को अपनी गिरफ्त में लिया, जिसके पास से 2 माह और 2 साल के दो मासूम बच्चे को पुलिस ने अपनी कस्टडी में लिया है.

इस अस्पातल के दो डॉक्टर भी शामिल

प्रोफेसर की पत्नी ने पूछताछ में बताया कि शादी हुए काफी साल हो जाने के बाद जब बच्चे नहीं हुए तो बच्चों के लालच में उन्होंने गैरकानूनी रूप से बच्चों को खरीदा था. वहीं पुलिस की सख्ती से पूछताछ में मामले के परत दर परत खुलासे हो रहे हैं. पूछताछ में गिरोह ने करुणा मेटरनिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन राय और रमाकांत शर्मा के नाम भी लिए हैं, जो गिरोह को बच्चे उपलब्ध कराने का काम करते थे. वहीं आस्पताल के रिसेप्शनिस्ट अमित की भी भूमिका सामने आई है.

चार साल से शहर में सक्रिय है गिरोह

गिरोह के मास्टरमाइंड से पूछताछ के बाद अब पुलिस ने पांच सदस्यों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, जो चंद रुपए के कमीशन के लिए बच्चों की खरीद-फरोख्त का काम करते थे. गिरोह के लगभग सभी सदस्य मेडिकल फील्ड से जुड़े हुए हैं, वहीं इसका मास्टरमाइंड तेजकरण उर्फ बबलू एक निजी हॉस्पिटल में वार्ड बॉय रह चुका है, तो वहीं शिल्पा नर्सिंग का कोर्स कर चुकी है और कई निजी हॉस्पिटलों में अपनी सेवाएं दे चुकी है, लेकिन रुपयों की लालच में नौकरी छोड़ बच्चों की खरीद फिरोख्त करने लग गया. लगभग तीन-चार सालों से गिरोह शहर में सक्रिय है.

हो सकते हैं बड़े खुलासे

बहरहाल, जिन दो डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं, उनकी गिरफ्तारी के बाद गिरोह के बच्चों की खरीद फरोख्त के गोरखधंधे में कितने बड़े नामों के खुलासे होंगे, यह तो पुलिस की पूछताछ में ही सामने आएगा लेकिन पुलिस सकुशल हिफाजत में लिए तीनों ही बच्चों के माता-पिता की जानकारी नहीं लग पाई है. पुलिस को अंदेशा है कि जो युवतियां अनजाने में की गई गलतियों के कारण गर्भवती होकर अबॉर्शन कराने पहुंचती हैं, उन युवतियों से गिरोह संपर्क कर इन बच्चों को लेकर निसंतान माता-पिता से संपर्क कर उन्हें लाखों रुपए में बेच देते थे. बहरहाल, पुलिस गिरोह द्वारा गैरकानूनी रूप से अब तक कितने बच्चों को बेचा गया है और इसके पीछे कौन-कौन है, उसका पता लगाया जा रहा है.

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