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MPPSC में भील पर पूछे गए सवाल पर मचा बवाल, कइयों पर गिर सकती है गाज! - indore latest news

राज्य सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवाल पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है, मुख्यमंत्री ने दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है, जबकि आयोग ने भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

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भील के सवाल पर मचा बवाल

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Published : Jan 13, 2020, 11:24 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवाल पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है, लोक सेवा आयोग ने प्रश्न पत्र तैयार करने वाले शिक्षक और मॉडरेटर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जबकि मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी जाति विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक सवाल पूछने वालों को दंडित किया जाएगा.

भील के सवाल पर मचा बवाल

राज्य सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में एक सवाल पूछा गया था, जिसमें भील जनजाति की आपराधिक प्रवृत्ति का प्रमुख कारण सामान्य आय से देनदारी पूरी नहीं कर पाना है, जिसके चलते भील जनजाति के लोग धनोपार्जन की आशा में गैर वैधानिक और अनैतिक कामों में लिप्त हो जाते हैं. इतना ही नहीं प्रश्न में आगे उल्लेख है कि भील जनजाति शराब में डूबी हुई जनजाति है.

परीक्षा देने गए पंधाना से भाजपा विधायक राम दांगोरे ने विरोध शुरू किया था, इसके बाद उन्होंने पीएससी के समक्ष आपत्ति जताई थी, नतीजतन मामला सुर्खियों में आते ही आरटीआई एक्टिविस्ट आनंद राय और अजय दुबे ने लोक सेवा आयोग को मनुवादी करार देते हुए संबंधितों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग कर दी, जबकि इस मामले में मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने भी मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई करने की मांग की है.

मामला सुर्खियों में आया तो लोक सेवा आयोग ने प्रेस वार्ता आयोजित कर प्रश्न पूछने वाले शिक्षक और मॉडरेटर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कही. साथ ही कहा कि कार्रवाई करने के लिए मामला एक समिति को सौंप दिया है. वहीं, वन मंत्री उमंग सिंघार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया ने भी दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की, यही नहीं कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने भी इस मामले में पीएससी को जिम्मेदार ठहराया है.

आदिवासियों के अपमान को लेकर कटघरे में आई सरकार की ओर से आखिरकार मुख्यमंत्री कमलनाथ को मोर्चा संभालना पड़ा. लिहाजा उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और जिन लोगों ने ऐसा निंदनीय कार्य किया है, उन्हें दंड मिलना तय है. सरकार का बचाव करते हुए कहा कि मेरी सरकार ने जनजाति वर्ग के उत्थान और भलाई के लिए काम में कोई कसर नहीं छोड़ी है. साथ ही व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने जीवनभर भील जनजाति और आदिवासी समुदाय का सम्मान किया है.

पीएससी की सफाई और मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद आदिवासी समुदाय विरोध प्रदर्शन कर रहा है. माना जा रहा है कि इस मामले को आधार बनाकर कमलनाथ सरकार आयोग कि जल्द ही सर्जरी कर सकती है. इसके अलावा आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे और सचिव रेणु पंत की विदाई की भी आशंका भी जताई जा रही है.

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