इंदौर।देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने छठवीं बार स्वच्छता रैंकिंग में पहले नंबर पर आकर स्वच्छता का छक्का लगाया है. आज दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक भव्य समारोह में इंदौर को स्वच्छता में पहले नंबर पर आने का पुरस्कार प्रदान किया है. गौरतलब है इंदौर देश का इकलौता शहर है जिसने स्वच्छता रैंकिंग में लगातार छठवीं बार बाजी मारी है. स्वच्छता रैंकिंग की घोषणा होते ही इंदौर में जश्न का माहौल है. वहीं नगर निगम मुख्यालय पर आतिशबाजी कर मिठाई वितरण किया जा रहा है. इस दौरान आज शहर भर में स्वच्छता की थीम पर गरबा आयोजित होगा. indore 6th time cleanest city of india, indore garba on cleanliness theme
400 से ज्यादा सिटी बस चलाने को लेकर चर्चा में:दरअसल देश में स्वच्छता को लेकर मिसाल बन चुका इंदौर इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में बायो सीएनजी प्लांट शुरू करने और शहर में प्रतिदिन 400 से ज्यादा सिटी बसें चलाने को लेकर चर्चा में था. इस प्लांट का उद्घाटन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था. इसके बाद से ही इंदौर का पहले नंबर पर दावा पक्का माना जा रहा था. दरअसल यह पहला प्लांट है, जिसमें एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट से न केवल 600 टन कचरा प्रोसेस हो रहा है, बल्कि नगर निगम को इससे सालाना ढाई करोड़ रुपए की आय हो रही है. इस प्लांट से जो सीएनजी गैस बन रही है, उससे शहर की 400 बसें चल रही है. इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय ने 2022 के लिए जो टूल किट जारी की थी, उसके अनुसार सूखे कचरे को अलग करने के बाद शहर को वॉटर प्लस बनाने और अन्य तैयारियों के तहत वायु गुणवत्ता सुधार का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसके फलस्वरूप इंदौर नगर निगम ने शहर की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए पर नियंत्रण के अलावा शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाने के प्रयास किए गए. इसी तरह शहर में चलने वाली कोयले की भट्टी समेत ऐसे प्रदूषण उत्सर्जन करने वाले स्त्रोतों को बंद किया गया. जिन से शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स प्रभावित होता है, परिणाम स्वरूप शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ और इंदौर अब जल और वायु की दृष्टि से 7 प्लस रैंकिंग के शहर की श्रेणी में है. इसी की बदौलत इंदौर को फिर छठवीं बार स्वच्छता सर्वेक्षण में इसी की बदौलत छक्का लगाने का मौका मिला है.
इंदौर इस तरह से बना हुआ है पहले नंबर पर:दरअसल इंदौर में स्वच्छता अभियान की शुरुआत 2017 में नगर निगम प्रशासन ने कचरे के प्रबंधन से की थी, उसी दौरान तय कर लिया गया था कि हर घर से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में एकत्र किए जाएगा. तत्कालीन नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह ने इस प्रयास को जन आंदोलन का रूप दिया और इसके बाद शहर के देवगुराडिया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर शहर का पूरा कचरा एकत्र किए जाने लगा. यहां कचरे के अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्लांट तैयार किया गया. इसके बाद इस कचरे को 400 लोगों द्वारा छटनी करके उसे रीसाइक्लिंग करने का प्रबंध किया गया. इसमें भी नगर निगम द्वारा धातु स्क्रैप करके उसे अलग बेचा गया. इससे जब आय प्राप्त होने लगी तो प्लास्टिक मटेरियल को भी रूप बदल कर उसे भी बेचा जाने लगा. इसके अलावा गीले कचरे को खाद के रूप में तब्दील करने के लिए प्लांट में ही बड़े चेंबर बनाए गए, जिनमें 12 औसतन के ढेर के मान से अलग-अलग चेंबर में कंपोस्ट लिक्विड डालकर उसे कंपोस्ट के रूप में बदले जाने का काम शुरू हुआ.