इंदौर।पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी ने केंद्र व राज्य सरकार के आदेशों के मुताबिक इंदौर शहर में सोलर पैनल के माध्यम से बिजली उत्पादन की व्यवस्था की है. विभिन्न तरह से जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. इसका असर भी इंदौर शहर में नजर आ रहा है. शहर की कई सरकारी बिल्डिंगों के साथ ही आम उपभोक्ताओं ने भी सोलर पैनल के कनेक्शन ले लिए हैं. उसके माध्यम से वह बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. उत्पादन करने के साथ ही वह बिजली को कई जगह सप्लाई भी कर रहे हैं, लेकिन इस पूरी पद्धति से पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी को जहां रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है, वहीं सोलर उत्पादन के व्यवसाय में बढ़ोतरी हो रही है. फिलहाल आने वाले दिनों में कई और जगहों पर भी पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी सोलर पैनल लगा सकती है.
सोलर पैनल लगाने के लिए पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी कई तरह के जागरूकता अभियान चला रहा है. उसका असर भी इंदौर शहर में नजर आ रहा है. इंदौर शहर में करीब 17सौ से अधिक बिल्डिंगों की छत पर सोलर पैनल लगाए गए हैं. वहीं कुछ इसमें सरकारी इमारतें भी शामिल हैं. जहां पर पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी ने अन्य एक संस्था के माध्यम से इन सोलर पैनल को लगाया है.
ऑनलाइन लगवाने की रहती है प्रकिया
सोलर पैनल लगवाने के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है. इसमें उपभोक्ता अपना आवेदन ऊर्जा पोर्टल पर डालता है और सिर्फ प्रक्रिया के आखिर में एक एग्रीमेंट होता है. उसे ऑफलाइन किया जाता है. इस पूरे काम को विगत माह से विद्युत वितरण कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी अपनी निगरानी में कर रहे हैं. जिसके बाद जो कामों में देरी हो रही थी और जो काम डिले थे. उनको जल्द से जल्द पूरे कर कनेक्शन सरवर करने का काम किया जा रहा है. इस पूरी प्रक्रिया में अगर उपभोक्ता को कोई समस्या आती है तो उपभोक्ता कॉल सेंटर पर कॉल करके भी अपनी समस्या का निदान पाते हैं. इसी के साथ बताया जा रहा है कि सरकारी कार्यालयों में भी इसी पोर्टल के माध्यम से सोलर पैनल लगाने का काम किया जाता है.
लगवाने की लागत कम
इसी के साथ इसको लगवाने की लागत भी काफी कम है. यदि किसी उपभोक्ता को सोलर पैनल अपने घर पर लगवाना है तो मात्र 40000 रुपए उसको खर्च करना पड़ेगा. 40000 खर्च करने के बाद वह 1 किलो वाट का सोलर पैनल अपने घर की छत पर लगवा सकता है. इस 1 किलो वाट के सोलर पैनल से दिनभर में 4 से 5 यूनिट बिजली बनाई जा सकती है. इसमें से कुछ यूनिट बिजली वह अपने घर के लिए उपयोग में ले सकता है तो अन्य यूनिट बिजली विद्युत वितरण कंपनी को बेच सकता है.
देश का क्लाइमेंट है सोलर पैनल के अनुकूल
साथ ही बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश नहीं बल्कि भारत देश का क्लाइमेट सोलर पैनल के लिए अनुकूल है. सोलर पैनल में जो यूनिट का उत्पादन होता है, उपभोक्ता उसको अपने घर में उपयोग कर सकता है. उपयोग के बाद जो यूनिट बचती है उसको हमारे द्वारा ग्रीड में एडजस्ट कर दिया जाता है. जिससे कि वह हमारे किसी दूसरे उपभोक्ता के काम आ सकेगी. इस पूरी प्रक्रिया के लिए मेजरमेंट के लिए एक नेट मीटर लगाया जाता है. जिससे कि पता चल सके कि उपभोक्ता ने कितनी बिजली का उपयोग किया है और कितनी बिजली हमें दी है. जिसे माह के अंत में हम उन्हें मीटर का अवलोकन कर बिल जनरेट करके उपभोक्ता को देते हैं. जिसका वह भुगतान करता है.