इंदौर।वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनिदेव मनुष्यों को उनके कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ परिणाम देते हैं. 17 जनवरी मंगलवार को शनि कुंभ राशि में गोचर कर गया. इससे कुछ राशियों को साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलेगी. वहीं कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होगी. अगर शनि रूठे हैं तो आपके जीवन में कष्ट लंबे समय तक रह सकता है. ऐसा ही बदलाव मंगलवार को हुआ,जब शनि ने कुंभ में राशि प्रवेश किया.
Shani Sadhe Sati: आज से बदल गई शनि की महादशा, जाने विभिन्न राशियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव
शनि ग्रह की 7 साल की महादशा को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. शनि ग्रह की साढ़ेसाती बहुत ही कष्टकारी मानी जाती है. 17 जनवरी मंगलवार से शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर चुका है.
शनि कुंभ राशि में प्रवेश किया: इस ग्रह की चाल सबसे धीमी होती है, इसलिए यह ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करता है. इस गणना से देखें तो शनि करीब 30 साल बाद कुंभ राशि में गोचर कर रहा है. जिसके शुभ-अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे. मकर सक्रांति के बाद 17 जनवरी 2023 मंगलवार के दिन संध्याकाल भगवान शनि महाराज ने अपने घर में वापसी की है. शनि देवता अपनी प्रिय कुंभ राशि में करीब 30 सालों बाद प्रवेश कर रहें हैं. इस दिन के बाद कई राशियों के जातकों के लिए शनि के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी और विभिन्न राशि के जातकों को शनि के कष्टों को साढ़ेसाती और अढैय्या का सामना करना पड़ेगा.
शनिदेव की करें आराधना: ज्योतिषाचार्य के अनुसार धनु राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी और मिथुन और तुला राशि शनि की ढैया 17 जनवरी से समाप्त हो गई. खासकर कर्क राशि और वृश्चिक राशि जातकों के ऊपर ढाई साल शनि की दशा शुरू हो गई और मीन राशि के जातकों के लिए अगले साढ़े सात साल के लिए शनि की साढ़ेसाती शुरू हो गई. ज्योतिषाचार्य कान्हा जोशी ने बताया कि, जिन राशियों के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव रहता है. उनको खासकर शनिवार को शनि देव की आराधना कर व्रत करना, पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना, और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इस दिन खासकर गरीब कुष्ठ रोगी और अपाहिज लोगों को ज्यादा से ज्यादा दान करें और तेल से बने पकवान उन्हें वितरित करें. साथ ही हनुमान जी की आराधना करने से शनि देव के कष्टों से मुक्ति मिलेगी और शनि के प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ेगा.