इंदौर में स्थापित हैं नेपाल से लाए साढ़े 12 हजार शालिग्राम इंदौर।भगवान शिव को लिंग स्वरूप पूजा जाता है, भगवान विष्णु की शालिग्राम स्वरूप में पूजा की जाती है. शहर के एरोड्रम रोड स्थित श्री श्रीविद्याधाम मंदिर परिसर में प्रदेश का ऐसा एकमात्र मंदिर है, जिसमें नेपाल की गंडकी नदी से लाए गए 12 हजार 500 शालिग्राम स्थापित हैं. इनका प्रतिदिन पंचामृत से अभिषेक किया जाता है. यहां पांच समय भोग भी लगाया जाता है. प्रतिवर्ष देवप्रबोधिनी एकादशी पर विधि-विधान के साथ शालिग्राम और तुलसी विवाह भी किया जाता है.
विद्याधाम मंदिर में शालिग्राम:अयोध्या में नेपाल की गंडकी नदी से जिस बड़े से पत्थर को लाया गया है. उसी पत्थर से निर्मित शालिग्राम इंदौर के विद्याधाम मंदिर में भी मौजूद हैं. 2015 में नेपाल की गड़की नदी से इन पत्थरों को लाया गया था. इनकी पौराणिक कथा भी प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक वृंदा नाम की एक महिला से भगवान विष्णु उसके पति का रूप धरकर मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन वृंदा नाम की महिला भगवान विष्णु के रूप को पहचान गई थी. उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया था कि, आपका शरीर पत्थर के समान हो जाए और यहीं पर स्थापित हो जाए और उसके बाद से वृंदा नदी के रूप में वहां से निकली और उसके बाद उस नदी में शालिग्राम के रूप में भगवान विष्णु विराजित है.
पत्थर से निर्मित मूर्ति:कहा जाता है नेपाल की नदी में इस तरह का पत्थर मिलता है. जो काफी पूजनीय है. भारत के तिरुवंतपुरम में मौजूद भगवान बालाजी मंदिर में इसी पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की मूर्ति निर्मित है. एक अन्य जगह पर इसी पत्थर से निर्मित मूर्ति को स्थापित किया गया है. इस पत्थर को शालिग्राम का रूप माना जाता है. इसकी पूजा की जाती है. साथ ही इंदौर के विद्या धाम में सन 2015 में नेपाल की उसी गंडकी नदी से इस पत्थर को यहां पर लाया गया था. इसे स्थापित नहीं किया जाता है. क्योंकि यह भगवान विष्णु का ही एक रूप है.
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पत्थरों से रघुनाथ मंदिर भी निर्मित:इसी के साथ जम्मू में 1 लाख 25 हजार शालिग्राम पत्थरों से रघुनाथ मंदिर भी निर्मित है. जो इसी शालिग्राम के पत्थर से निर्मित हुआ है. गंडकी नदी के इस पत्थर की काफी मान्यता है. जिसके चलते इसका जमकर परिवहन हो रहा था. परिवहन को देखते हुए नेपाल सरकार ने इसके परिवहन पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. मात्र पूजा के लिए एक या दो शालिग्राम ही वहां से लाए जा सकते हैं. लेकिन अयोध्या में जिस तरह से शालिग्राम के माध्यम से भगवान राम की मूर्ति का निर्माण किया जाएगा. उसके कारण एक बार फिर नेपाल की गड़की नदी का शालिग्राम सुर्खियों में बना हुआ है.