इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए भले ही घातक बताई जा रही हो, लेकिन महामारी के वर्तमान दौर में हजारों बुजुर्ग हर लहर में खतरे से जूझ रहे हैं. इंदौर में स्थिति यह है कि उम्र दराज लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अब भी वृद्ध आश्रमों के बाहर ताले लगे हैं. लिहाजा बुजुर्ग वृद्ध आश्रमों में कैद रहते हुए दानदाताओं और शासन के अनुदान के भरोसे गुजर बसर कर रहे हैं.
दृष्टिहीन को ज्यादा खतरा
इंदौर की अधिकांश सामाजिक संस्थाओं में ज्यादातर दिव्यांग ऐसे हैं जो देखने में अक्षम हैं. यह बिना किसी सहारे के नहीं चल सकते. ऐसी स्थिति में इन में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा है. यही वजह रही की इनका बाहरी लोगों से संपर्क अथवा आना-जाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया. बुजुर्गों की बात करें तो इनका सबसे बड़ा शत्रु कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) है, सो इनके लिए भी कोरोना घातक है.
वृद्ध आश्रमों में प्रवेश पूरी तरह निषेध
देशभर में लॉक डाउन खुलने के बावजूद इंदौर में सूने पड़े वृद्ध आश्रम अब भी संक्रमण के खौफ से जूझ रहे हैं. वजह है बुजुर्गों को संक्रमण की स्थिति में बचा पाने की चुनौती. नतीजतन शहर के तमाम अनाथालय और आश्रमों में रहने वाले बच्चों और बुजुर्गों को आम लोगों के संपर्क में आने से अब भी रोका जा रहा है. शहर के 8 वृद्ध आश्रमों में गेट पर ही ताले (Lock) लगाकर बाहरी लोगों को प्रवेश से रोका जा रहा है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि परदेसी पुरा वृद्ध आश्रम में किसी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने से कुछ बुजुर्ग संक्रमित हो गए थे. लिहाजा उन्हें उपचार की चुनौती के साथ संक्रमण से बचाना मुश्किल हो गया था. समाज कल्याण विभाग के मुताबिक यहां दूसरी लहर के दौरान जिन करीब 10 बुजुर्गों की मौत हुई. जिनमें से तीन से चार कोरोना संक्रमित पाए गए थे. ऐसी स्थिति दोबारा निर्मित ना हो इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का खास तौर पर ध्यान रखा जा रहा है.