इंदौर। कालाबाजारियों और मिलावटखोरों (Black marketing of ration)के खिलाफ क्राइम ब्रांच(crime branch) का एक्शन लगातार जारी है. क्राइम ब्रांच ने आजाद नगर स्थित गोडाउन पर दबिश देकर बड़ी मात्रा में चावल बरामद किया है. ये चावल राशन की दुकानों में गरीबों को दिया जाना था. लेकिन कालाबाजारी के जरिए इन गोदामों में पहुंच गया.
गरीब के राशन पर फिर डाका
मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग राशन की दुकान का माल खरीद कर मेसर्स पलक एग्रो इंडस्ट्री राईस मिल नेमावर रोड इंदौर पर बेचने के लिए पहुंचे हैं. चावल मिल के मालिक और मैनेजर काफी समय से इंदौर में (Black marketing of ration) अलग-अलग राशन दुकानों से गरीब का चावल खरीद कर ऊंचे दामों में बेचते हैं. सूचना पर क्राइम ब्रांच और आजाद नगर थाने ने खाद्य विभाग की टीम के साथ मिलकर कार्रवाई की.
सवा 4 लाख का चावल बरामद
यहां लोडिंग में 34 कट्टे चावल के मिले. हर कट्टे में 50 किलो चावल था. 6 कट्ठे लोडिंग से उतारकर मिल में अंदर छुपा कर रखे गए थे. कुल 40 कट्टे चावल यहां से बरामद हुए. इनका बाजार मूल्य करीब सवा चार लाख रुपए है.
पकड़े गए आरोपियों ने किया खुलासा
पकड़े गए ड्राइवर और कंडक्टर ने बताया कि वे अहीरखेडी से राशन (Black marketing of ration)की दुकान से 12 रु प्रति किलो चावल खरीदकर लाए हैं. हम इसे 16 रु प्रति किलो के हिसाब से बेचने के लिए मेसर्स पलक एग्रो इंडस्ट्री राईस मिल पर अपने साथी शुभम के जरिए लाए हैं. जांच के बाद मेसर्स पलक एग्रो इंडस्ट्री राईस मिल नेमावर रोड इंदौर के मालिक राजेन्द्र श्यामनानी और मैनेजर विशाल आनंद बुलानी, ड्राइवर शाहनवाज खान और कंडक्टर अय्यूब खान, शासकीय उचित मूल्य दुकान बांक कोड के अध्यक्ष ममता तोमर ,अंशुलिका सागर ,अजय सागर और दलाल शुभम चौहान के विरुद्ध थाना आजाद नगर में केस दर्ज हुआ है.
अन्य दुकानों की भी की जाएगी जांच
पकड़े गए दोनों आरोपियों ने बताया कि वो कहां कहां राशन (Black marketing of ration) का चावल बेचते थे. प्रशासन को अंदेशा है कि आरोपियों ने शहर की कई और दुकानों से भी बड़ी मात्रा में सस्ते दामों पर राशन खरीदा था. फिर उन्हें अलग कीमतों पर अलग-अलग जगह पर बेच दिया था.
पिछले साल राशन माफिया पर प्रशासन ने कसा था शिकंजा
इस तरह की कार्रवाई पिछले साल भी कलेक्टर मनीष सिंह ने कई राशन माफिया के (Black marketing of ration)खिलाफ की थी. कोरोना काल में गरीबों में बांटी जाने वाली सामग्री को प्रदेश के बाहर हैदराबाद सहित अन्य जगहों पर भेज दिया गया था. पूरे मामले की जांच की गई तो करोड़ों का घोटाला सामने आया. उस समय भरत दवे सहित कई राशन दुकान संचालकों पर कार्रवाई हुई थी.
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अफसरों की मिलीभगत गरीब के निवाले पर डाका
इंदौर में बड़ी संख्या में राशन दुकानें हैं. कई लोगों ने अलग-अलग तरह से राशन (Black marketing of ration) के कार्ड भी बनवा रखे हैं. दुकान संचालकों के परिवार में ही कई कार्ड राशन बनवा रखे हैं . उन कार्डों के माध्यम से राशन की हेराफेरी की जाती है. कुछ दिनों पहले प्रशासन ने राशन को लेकर गाइडलाइन भी जारी की है. कई बड़े उद्योगपतियों से राशन की दुकान संचालित करने वाले दुकानदारों ने संपर्क स्थापित किए. गरीब का राशन उद्योगपतियों के गोडाउन पर पहुंचा दिया जाता है. उसके बाद उद्योगपति उस राशन को अपने माल के साथ मिक्स कर बाजार में ठिकाने लगा देते हैं.