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Raksha Bandhan 2021: 'मन की आंखों' से तैयार हो रहे रक्षा सूत्र, दृष्टिहीन छात्राएं राखी बनाकर कमा रही लाखों - रक्षाबंधन विशेष

भाई-बहन के पावन त्योहार रक्षा बंधन पर इंदौर की दृष्टिहीन बहनें रक्षा सूत्र बना रही है. यह रक्षा सूत्र इसलिए भी विशेष है क्योंकि इन्हें दृष्टिहीन बालिकाएं सूंघकर और महसूस कर तैयार कर रही है. इन राखियों की मार्केट में डिमांड भी बहुत है. महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में रहकर पढ़ाई करने वाली बालिकाएं इन राखियों को बेचकर हर साल लाखों रुपए की कमाई भी करती है. हालांकि कोरोना काल के चलते पिछले दो सालों में इनकी कमाई में कमी हुई है. लेकिन इस साल फिर से बंपर कमाई होने की संभावना है.

Blind girls making rakhi
राखी बना रही दृष्टिहीन बालिकाएं

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Published : Aug 18, 2021, 2:58 PM IST

इंदौर। कोरोना के नियंत्रण में रहने के कारण रक्षाबंधन को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है. जिसे लेकर अभी से घरों से लेकर बाजार तक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इधर इंदौर में कुछ ऐसी भी बहनें हैं, जो दृष्टिहीन होने के कारण राखियां देख तो नहीं सकती. लेकिन राखियों को छूकर और उनके सुंदरता महसूस करके तरह-तरह के रक्षा सूत्र बखूबी तैयार कर रही हैं.

दरअसल इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में रहकर पढ़ाई करने वाली गरीब और असहाय दृष्टिहीन बालिकाएं अपने भाइयों के अलावा देश भर के लोगों के लिए राखियां तैयार कर रही हैं. दृष्टिहीन बालिकाएं सुंघकर और महसूस करके एक से एक सुंदर राखियां तैयार करती हैं. इसके लिए इन्हें क्राफ्ट की शिक्षिका पहले राखी का एक डिजाइन बनाकर इनके हाथों में सौंपाती है, इसके बाद राखी के रेशमी धागे से लेकर मोती, कुंदन और अन्य सामग्री को महसूस करने के बाद मॉडल राखी की तरह ही नई राखी को आकार दिया जाता है. इसके बाद जो राखियां तैयार हो जाती हैं, वह बाजार की राखियों को भी डिजाइन और सुंदरता में मात देती नजर आती हैं.

रक्षा बंधन के लिए भाइयों के लिए राखी बना रही दृष्टिहीन बालिकाएं

हर वर्ष राखियों से एक लाख रुपए का व्यापार

इस सामाजिक संस्था में बीते दो दशकों से जो राखियां बन रही हैं, प्रतिवर्ष उन्हें बेचकर दृष्टिहीन बालिकाओं के लिए हर साल करीब एक लाख रुपए जुटा लिए जाते थे, हालांकि इस बार कोरोना के संक्रमण के बाद स्कूल अब भी नहीं खोल सके हैं, इसलिए रक्षाबंधन के पहले स्कूलों में लगने वाले कार्निवाल और स्टॉल नहीं लग पा रहे हैं. जिसके चलते इस बार संस्था के दानदाताओं को ही ऑनलाइन सूचना के बाद राखियां बेची जा सकेंगी. इसके बाद जो राखियां शेष बचेंगी उन्हें इन छात्राओं के भाइयों को बांधने में उपयोग किया जाएगा.

बालिकाओं को राखी बनाना सिखा रही क्राफ्ट शिक्षिका

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सॉफ्ट टॉयज डिजाइनर सामान का भी निर्माण

इस संस्था की छात्राएं त्योहारों के अलावा सामान्य दिनों में क्राफ्ट की कक्षा में तरह-तरह का सजावटी सामान तैयार करती है. इसे तैयार करने के लिए भी वहीं अनुभव और महसूस करने की प्रक्रिया का पालन होता है. इस स्थिति के चलते अब कई छात्राएं ऐसी हैं, जो अलग-अलग सामग्री बनाने में महारत हासिल कर चुकी हैं. संस्था द्वारा लगाए जाने वाले स्टॉल में हर साल यह सामग्री बिकती है, जिसके ग्राहक शहर के कई विशेष वर्ग के लोग भी हैं. इस बार स्कूल बंद है तो इन छात्राओं की कोशिश है कि जो राखी बन रही हैं, उनमें से चुनिंदा पसंद की राखियां यह अपने भाइयों को बांध सकें.

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राखियों में संजोए स्वतंत्रता के रंग

इस बार रक्षाबंधन के ठीक पहले स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त का पर्व मनाया गया, लिहाजा संस्था में जो राखियां तैयार की हैं, उनमें काफी सारी राखी 15 अगस्त और स्वतंत्रता की थीम पर हैं. जिन्हें तरह-तरह के तिरंगे वाले कुंदन, नग और मोती से सजाकर तैयार किया गया है. इन राखियों को बनाए जाने के बाद इन्हें बिक्री के लिए सुंदर पैकिंग में भी पैक किया जा रहा है, जिससे कि ग्राहकों को यह मूल स्वरूप में उपलब्ध कराई जा सके.

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