इंदौर। जिला कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत [Public Court] का आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रकरणों की सुनवाई की गई. इसमें से अधिकतर प्रकरणों का संबंधित पक्षकारों ने सुनवाई कर राजीनामा कर लिया गया तो वहीं कई मामलों का इस लोक अदालत में निराकरण हो गया. वही सबसे अधिक प्रकरण बिजली बिल संबंधी से थे. जिसका निराकरण हाथों हाथ किया गया. पहली बार राष्ट्रीय लोक अदालत में उपभोक्ता संबंधी कंज्यूमर फोरम की भी टेबल लगी. जिसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और उनका भी निराकरण हुआ. corona के दौरान बीमा कंपनी ने कई लोगो के बीमे के रुपए रोके थे. उसका भी निराकरण लोक अदालत में हुआ. इस दौरान ईटीवी भारत से डिस्ट्रिक्ट जज [DJ]ने खास बातचीत भी की और बताया कि किस तरह से राष्ट्रीय लोक अदालत जनता के लिए आसान बन चुकी है.
MP Biggest Settlement: लोक अदालत में मिला न्याय, बीमा कंपनी को पीड़ित को चुकाने पड़े 72 लाख
वर्ष की अंतिम लोक अदालत में हजारों मामले निपटाएः साल की आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत [Public Court] का आयोजन इंदौर की जिला कोर्ट में किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में केसों को निपटाने के लिए 59 खंडपीठों [59 benches] का गठन किया गया. जिला न्यायालय, श्रम न्यायालय, परिवार न्यायालय व तहसील स्तर पर तहसील न्यायलय, डॉक्टर अंबेडकरनगर, देपालपुर, सांवेर ,हातोद में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया. न्यायालय में लंबित प्रकरण राजीनामे के लिए रखे गए. राजीनामा योग्य अपराधिक 1796 केस, सिविल से जुड़े 810 ,मोटर दुर्घटना क्लेम के 3154 , बिजली बिल से संबंधित तकरीबन 3313, चेक बाउंस के संबंधित 10108 मामले आए. इसके अलावा वैवाहिक मामलों में 563, श्रम से जुड़े हुए 400, बैंक रिकवरी 48, राजस्व प्रकरण 19 व अन्य 1242 प्रकरणों के साथ ही बैंक की रिकवरी के 27206 प्रकरण पर सुनवाई हुई. पहली बार इंदौर की जिला कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत में ऐसे मामलों का भी निपटारा हुआ जो काफी लंबे समय से लंबित पड़े हुए थे.
बीमा कंपनियों को चुकाने पड़े लाखों रुपएः इसके अतिरिक्त कोरोना [corona victims] में जिन लोगों को कोरोना हुआ और बीमा होने के बावजूद लम्बा बिल चुकाना पड़ा, उन्होंने बीमा कंपनी से क्लेम मांगा था, लेकिन बीमा कंपनी [insurance companies] ने विभिन्न तरह की परेशानियों का जिक्र करते हुए क्लेम नहीं दिया था. इस पूरे मामले को लेकर भी कुछ पक्षकारों ने लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उसको देखते हुए ऐसे मामलों में भी सुनवाई करते हुए बीमा कंपनी को लाखों रुपए चुकाने के फरमान राष्ट्रीय लोक अदालत ने दिया है. लोक अदालत में पारिवारिक प्रॉपर्टी से संबंधित मामलों का भी निराकरण हुआ. इसी कड़ी में एडवोकेट पीयूष वर्मा ने बताया कि उनके फरियादी की विकास गार्डन नामक 36 फ्लैटों की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग थी. स्कीम नंबर 54 में थी, फरियादी के छह भाई थे, जिनमें से एक भाई ने अन्य पांच भाइयों के द्वारा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में मौजूद जो फ्लैट बेचे गए थे, उन बेचे हुए फ्लैटों की रजिस्ट्री शुन्य करने के लिए एक याचिका कोर्ट में लगा दी थी. जब यह पूरा मामला सामने आया तो कोर्ट ने दोनों पक्षों को बुलाया और दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से इस पूरे मामले का निराकरण कर लिया. जिस प्रॉपर्टी को लेकर भाइयों के बीच विवाद था उसकी कीमत 10 करोड़ 10 लाख थी. यह लोक अदालत का सबसे बड़ा मामला था.