इंदौर। कलेक्ट्रेट कार्यालय में कई सालों से धूल खा रहे मेट्रो रेल के इस मॉडल की तरह ही शहर में मेट्रो सेवा का सपना भी अब धुंधला चुका है. करीब 1 साल पहले कमलनाथ सरकार ने करीब 32 किलोमीटर के रूट वाले इस प्रोजेक्ट का भूमि पूजन किया था. लेकिन अब आर्थिक संकट और डिजाइन संबंधी कई खामियों के चलते ये प्रोजेक्ट फिलहाल अधर में लटकता दिखाई दे रहा है.
इंदौर में पूरी तरह काम ठप
इंदौर मेट्रो के लिए पहले चरण में 7 हजार 500 करोड़ रूपये और भोपाल मेट्रो के लिए 6 हजार 941 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए. मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की कंसलटेंसी के लिए आर्किटेक्ट रोहित गुप्ता की टीम को कंसलटेंट एजेंसी नियुक्त की थी. जिसके जरिए दी गई डिजाइन अब तक फाइनल नहीं हो सकी है. इस डीपीआर में भी कई मूल समस्याओं को छोड़ दिया गया. जैसे-तैसे प्रोजक्ट शुरू हुआ तो भोपाल में मेट्रो के करीब 90 पिलर खड़े हो सके. लेकिन इंदौर के क्षेत्रों में 32.16 किलोमीटर के रूट को चिन्हित किए जाने के बाद अब तक एक भी पिलर तैयार नहीं हुआ है.इंदौर के MR10 रोड पर सड़क के बीचों-बीच बैरिकेडिंग की गई है. जो अब काम बंद होने के कारण कई स्थानों से हटाई जा रही है. वहीं निर्माण एजेंसी द्वारा अब इंदौर में पूरी तरह काम बंद कर दिया गया है.
2 साल में तीन सरकारों ने किया मेट्रो का राजनीतिक सफर
मेट्रो रेल परियोजना 2 साल पहले शुरू हुई थी. उस दौरान शिवराज सरकार बदलने के बाद कमलनाथ सरकार सत्ता में आई थी. अब फिर शिवराज सरकार है. सत्ता भले ही बदल गई हो, लेकिन इस परियोजना की हालत जस की तस है. परियोजना के पहले चरण में सरकार ने निर्माण एजेंसी को 5.3 किलोमीटर हिस्से का ठेका दिया था. मगर बीते 2 साल में 1 मीटर रूट भी नहीं बना.