इंदौर। कोरोना संकट के इस दौर में बीमार मरीजों के परिजनों से इंदौर के निजी अस्पताल संचालक उनकी कोरोना की रिपोर्ट छिपाकर इलाज के नाम पर लगातार बिलिंग कर वसूली कर रहे थे. यही वजह है कि अब इंदौर संभाग आयुक्त ने सभी मरीजों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट प्रतिदिन ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं. यह रिपोर्ट अब इंदौर जिला प्रशासन की वेबसाइट पर हर दिन अपडेट होगी. जिससे मरीज और अस्पतालों में भर्ती उनके परिजन रिपोर्ट जान सकेंगे की संबंधित भर्ती मरीज कोरोना पॉजिटिव है या नहीं.
कोरोना रिपोर्ट के नाम पर वसूली में जुटे थे निजी अस्पताल, प्रशासन के निर्देश पर अब ऑनलाइन मिलेगी रिपोर्ट
कोरोना संकट के इस दौर में बीमार मरीजों के परिजनों से इंदौर के निजी अस्पताल संचालक उनकी कोरोना की रिपोर्ट छिपाकर इलाज के नाम पर लगातार बिलिंग कर वसूली कर रहे थे. यही वजह है कि अब इंदौर संभाग आयुक्त ने सभी मरीजों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट प्रतिदिन ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं. यह रिपोर्ट अब इंदौर जिला प्रशासन की वेबसाइट पर हर दिन अपडेट होगी.
दरअसल, संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी द्वारा दिये गये निर्देशों के पालन में कोरोना सेंपल की टेस्ट रिपोर्ट को अब ऑनलाइन किया गया है. इधर एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा 5 मई से 9 मई 2020 तक जारी की गई टेस्ट रिपोर्ट जिला सूचना विज्ञान केंद्र के माध्यम से जिला प्रशासन इंदौर की वेबसाइट पर अपलोड की गई है. जिला सूचना विज्ञान केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज से सूची प्राप्त होते ही इसे NIC इंदौर की वेबसाइट https://indore.nic.in में अपलोड किया जाएगा. जिसे कोई भी व्यक्ति ये रिपोर्ट देख सकेगा.
गौरतलब है कि रिपोर्ट छुपाकर को कोरोना के मरीजों को लगातार भर्ती रखने और तरह-तरह की जांच और इलाज के नाम पर गोकुलदास अस्पताल समेत कई अन्य अस्पताल मरीजों से वसूली में जुटे थे. हाल ही में मिली एक शिकायत पर तुकोगंज पुलिस ने गोकुलदास अस्पताल के खिलाफ नोटिस भी जारी किया था. इसके अलावा इंदौर के सिनर्जी अस्पताल में भी ऐसी ही सूचना मिली थी. दरअसल राज्य शासन ने जिन निजी अस्पतालों को कोविड-19 के इलाज के लिए अधिकृत किया था. उनमें ऐसी शिकायतें लगातार आ रही थी, वहीं ये अस्पताल भर्ती होने वाले मरीजों के परिजनों से मेडिक्लेम पॉलिसी से इलाज शुरू करने की वजह नकद राशि जमा करवा रहे थे. ऐसी स्थिति में ना तो मरीजों को मेडिक्लेम का लाभ मिल पा रहा था ना ही अस्पताल प्रबंधकों की मनमानी पर कोई रोक लग पा रही थी. लिहाजा जिला प्रशासन को उक्त निर्णय लेना पड़ा.