इंदौर। अपने दौर में आर्केस्ट्रा की बदौलत सुरों और सम्मान की बुलंदियों पर रहने वाले मशहूर फनकार प्रभात चटर्जी इंदौर में अपने चाहने वालों से रूबरू हुए. शहर के परदेसी पुरा वृद्ध आश्रम में उनके सम्मान में आयोजित आर्केस्ट्रा में अपने सुनहरे गानों का जमकर लुत्फ उठाया.
प्रभात चटर्जी ने उठाया अपने सुनहरे गानों का लुत्फ दरअसल इंदौर के आर्केडियम प्लेयर 76 साल के प्रभात चटर्जी को हाल ही में शहर के बंगाली चौराहे के पास तंग बस्ती से निकालकर वृद्ध आश्रम में शिफ्ट किया गया है. जिला प्रशासन और सामाजिक न्याय विभाग ने उनके सम्मान में आर्केस्ट्रा का कार्यक्रम आयोजित किया.
भावुक हुए प्रभात चटर्जी
कार्यक्रम में सुनहरे बस की कुछ यादें साझा करते हुए प्रभात चटर्जी ने हारमोनियम पर भी संगत करने की कोशिश की. वहीं गायकों के साथ मंच पर गाने भी गुनगुनाए. इस मौके पर सांस्कृतिक संस्था स्वर औलाद के कलाकारों ने 70 से 80 के दशक के कई चर्चित गानों की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम की शुरुआत शहर की गायिका साधना मेघानी के गीत मन रे तू काहे ना धीर धरे से हुई, इसके बाद गायक संजय रियाना ने भोले ओ भोले मेरे यार से मिला दे आदि गीतों से कार्यक्रम में समा बांध दिया. इस दौरान चटर्जी कई बार भावुक भी हुए. उन्होंने कहा श्रोताओं के प्यार ने मुझे बुलंदियों तक पहुंचाया था. अब शरीर जवाब देने लगा है लेकिन संगीत की हसरतें अभी भी बाकी हैं. उन्होंने कहा किसी भी कलाकार को सुनने वाला उसका भगवान होता है और उस दौर में भी यही श्रोता मेरे भगवान रहे हैं.