इंदौर।बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के अलावा लूट डकैती और चोरी के आरोपियों को पकड़ने में इंदौर पुलिस नाकाम साबित हो रही. इसलिए पुलिस अब अपराध रोकने के नाम पर आम जनता को सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए प्रेरित कर रही है. इतना ही नहीं अब शहर में पुलिस के माध्यम से एक ऐसा अभियान चलाया जाएगा, जिसमें शहर के रहवासी से घर में कैमरों का एक फोकस रोडसाइड करने की अपील की जाएगी, जिससे कि सड़कों पर होने वाली हर आपराधिक घटना सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो सके.
इंदौर में बढ़ता क्राइम बना परेशानी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में भी आपराधिक घटनाओं के लिहाज से इंदौर का नंबर प्रदेश में पहले नंबर वाला शहर है. इसके अलावा बीते कुछ सालों में 100 में से 80 घटनाओं में वहीं अपराधी पकड़ में आ सके हैं जो किसी न किसी रूप में आसपास लगे कैमरे में रिकॉर्ड किए गए थे. शेष अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस का खुफिया नेटवर्क पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है. यही वजह है कि शहर की मुख्य सड़कों से लेकर शहर के बाहर आने जाने वाले मार्गों पर इंदौर पुलिस ने सुरक्षा की व्यवस्था का जिम्मा करीब 600 कैमरो को सौंपा है, जिसका रिकॉर्ड पुलिस कंट्रोल रूम से लेकर अलग-अलग रिकॉर्ड रूम में दर्ज किया जा रहा है.
एयरपोर्ट क्षेत्र में पुलिस के सहायक बने कैमरे
इंदौर एयरपोर्ट क्षेत्र में भी आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए बड़ी संख्या में इंदौर पुलिस कैमरों का सहारा ले रही है.शहर में विभिन्न इलाकों में अपराधी नजर बचाकर लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, ऐसी स्थिति में अब इंदौर पुलिस शहर के तमाम नागरिकों को अपने घरों में सीसीटीवी कैमरे लगवाने की सलाह दे रही है. इतना ही नहीं इंदौर पुलिस अब एक ऐसे अभियान चलाने जा रही है जिसमें घर-घर से लोगों से यह अपील की जाएगी कि 3 कैमरों में से 1 कैमरे का फोकस रोडसाइड किया जाए, जिससे कि रोड पर होने वाली घटनाओं को कैमरा में रिकॉर्ड किया जा सके.
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आधे से ज्यादा चौराहों के कैमरे खराब
इंदौर शहर में प्रवेश होने के अलावा शहर के मध्य क्षेत्र में रीगल चौराहा, जेल रोड, राजवाड़ा, महू नाका, पलासिया, मधु मिलन चौराहा, एमजी रोड समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां मुख्य मार्ग पर कैमरे लगाए गए हैं, इसके अलावा शहर के विभिन्न थाने परिसर के आसपास भी कैमरों का नेटवर्क है, लेकिन इसके बावजूद सीसीटीवी कैमरों का नियमित रूप से मेंटेनेंस नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हैं. अब टेक्निकल सपोर्ट के जरिए इन कैमरों को ठीक किए जाने की भी कवायद हो रही है. इसके अलावा पुलिस की कोशिश यह भी है कि कैमरे में जो डाटा रिकॉर्ड किया गया है, उसे भी एक निर्धारित लाइब्रेरी में संरक्षित किया जा सके, जिससे कि भविष्य में होने वाली किसी घटनाओं पर पहले से मौजूद रिकॉर्ड का आकलन करके अपराधियों की धरपकड़ की जा सके.