इंदौर। शहर में होनी वाली चोरी की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए लगातार पुलिस ठोस कदम उठाती है. चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले चोरों को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है. लेकिन अक्सर चोरी हुई संपत्ति वसूल नहीं हो पाती है. चोरी हुए सामान को वसूलना पुलिस के लिए हमेशा ही चुनौतीपूर्ण होता है. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां पुलिस चोरों को तो खोज निकालती है, लेकिन चोरी की गई संपत्ति को बरामद करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
कैसे हाथ आए चोरी हुआ सामान? बदल दिए जाते हैं सामान
शहर में चोरों का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो चोरी किए सामान को बदल देता है. वहीं सोने-चांदी के जेवरात को गला कर उनकी पहचान ही बदल देता है. ऐसे में पुलिस के सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है कि आखिर चोरी हुए सामान को कैसे जब्त किया जाए.
गलाकर आभूषणों की पहचान बदल देते हैं चोर
कुछ दिनों पहले ही सराफा बाजार में कई जगहों पर पुलिस ने दबिश दी थी. इन जगहों पर रहने वाले बंगाली कारीगरों ने बड़ी ही आसानी से आभूषणों को गलाकर उनकी पहचान पूरी तरह से बदल दी थी. ताकि आने वाले समय में उन आभूषणों को बाजार में फिर से लाया जा सके. साथ ही उनकी खरीदी-बिक्री की जा सके. पुलिस को कई ऐसे लोगों का पता लगा था, जो कि इस तरह की वारदातों को बाजार में अंजाम दे रहे थे. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सराफा से कई लोगों को गिरफ्तार किया था. उनके पास से बड़ी मात्रा में चोरी किए गए आभूषणों को भी जब्त किया गया था.
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ज्यादातर 70-80 फीसदी होती है रिकवरी
चोरी के मामलों में खुलासा होने के बाद पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती चोरी किए गए माल की बरामदगी होती है. खुलासा करने के लिए पुलिस को कई बार अलग-अलग चुनौतियों से सामना करना पड़ता है.
शहर में पिछले दिनों कुछ दिनों में चोरी की वारदातों के बारे में जानकारी निकाली गई तो पता चला कि अधिकतर मामलों में 70 से 80 फीसदी तक की ही रिकवरी होती है. चोरी गए पूरे सामान की रिकवरी करना पुलिस के लिए नामुमकिन होता है. अगर जांच ज्यादा दिनों तक चलती है तो चोरी गए माल को बाजार में आसानी से खपा दिया जाता है. ऐसे में पुलिस को चोरी का खुलासा करने के बाद इसे खरीदने वाले लोगों तक पहुंचना पड़ता है, जिसकी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है.