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Stray Dogs In Indore: इस कॉलोनी में डर ऐसा अखबार और दूधवालों ने बंद की आवाजाही, डंडा लेकर चलती हैं महिलाएं

इंदौर में बढ़ती कुत्तों की आबादी ने लोगों को संकट में डाल दिया है कई इलाकों में हाल यह है कि लोगों को डंडे लेकर बाहर निकलना पड़ता है. प्रशासन भी कुत्तों को लेकर लाचार नजर आ रहा.

Stray Dogs In Indore
कुत्तों के डर में मोहल्ला

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Published : Jul 5, 2023, 8:30 AM IST

कुत्तों के डर में मोहल्ला

इंदौर। स्वच्छता को लेकर बीते 6 बार से रिकॉर्ड बना रहा इंदौर शहर अब कुत्तों के आतंक से परेशान है. शहर के विजयनगर इलाके में नर्मदा कॉलोनी की स्थिति यह है कि यहां कुत्तों के कारण पूरी कॉलोनी सूनी हो चुकी है कुत्तों द्वारा काटे जाने के खौफ से यहां के घरों में न केवल दूध बल्कि समाचार पत्रों के अलावा पड़ोसियों और रिश्तेदारों की आवाजाही भी बंद हो चुकी है. घर की महिलाएं और बच्चे जिन्हें स्कूल जाने से लेकर घर के जरूरी कामों से बाहर जाना होता है वह भी अब कुत्तों से अपने बचाव के लिए डंडा लेकर चलने को मजबूर हैं. यही वजह है कि अब इस कॉलोनी से निकलने वाला हर नागरिक हाथ में डंडा लिए नजर आता है.

सैकड़ों लोग हो रहे डॉग बाइट का शिकार: इंदौर में स्वच्छता के चलते कुत्तों को भूख के चलते नर्मदा कॉलोनी के रहवासियों ने यथासंभव भोजन पानी की व्यवस्था की थी लिहाजा यहां कुत्तों की भरमार हो गई. बारिश के सीजन में यहां के कुछ कुत्ते पागलपन का शिकार होने के बाद एक दूसरे पर ही हमला करने लगे. फिलहाल स्थिति यह है कि कॉलोनी में बाहर निकलने वाले लोगों को अब कुत्ते अपना निशाना बना रहे हैं लिहाजा कॉलोनीवासी अब मदद के लिए नगर निगम से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं. फिलहाल देश के सबसे स्वच्छ शहर में करीब एक लाख स्ट्रीट डॉग समेत हजारों आवारा कुत्तों के नियंत्रण की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं होने के कारण शहर में रोज ही 90 से 100 लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं. बीते साल ही करीब 23900 कुत्तों के काटने के मामले सामने आए. जिन्हें रेबीज का इंजेक्शन लगाना पड़ा.

इस कारण नहीं होती कार्रवाई: स्थिति को लेकर इंदौर नगर निगम की परेशानी यह है कि कोर्ट के आदेश के तहत निगम सिर्फ कुत्तों को संबंधित इलाकों से पकड़ने के बाद नसबंदी करके उन्हें उसी इलाके में छोड़ सकता है. लिहाजा नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी भी अब कुत्तों के मामले में कार्रवाई से बचते नजर आते हैं. इसके अलावा कुत्तों को पकड़ने या कार्रवाई करने पर पीपुल्स फॉर एनिमल जैसी संस्थाओं की आपत्ति के चलते कोई भी अब इस मामले में गंभीरता से ध्यान नहीं देना चाहता. यही स्थिति है कि शहर में लाखों में कुत्तों की भरमार है वहां अब लोगों को अपनी जान बचाने के लिए खुद ही डंडे लेकर निकलना पड़ रहा है.

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अनुबंधित संस्था के भरोसे आवारा कुत्ते:इस मामले में नगर निगम संबंधित शाखा के अधिकारी ऋषि कुमार गोसर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार कुत्तों को अपनी जगह से हटाया नहीं जाता सिर्फ इनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन किया जा सकता है. उन्होंने बताया आवारा कुत्तों की समस्या के निराकरण के लिए इंदौर नगर निगम ने कांटेक्ट के आधार पर वेट्स सोसायटी फॉर एनिमल वेलफेयर एंड रूरल डेवलपमेंट को अनुबंधित किया है. संस्था के प्रत्येक जोन स्तर पर आवारा कुत्तों को संबंधित क्षेत्र से पकड़कर भारतीय जीव जंतु बोर्ड के दिशानिर्देश अथवा डॉग रूल 2001 के तहत एबीसी केंद्र ले जाकर उनकी नसबंदी टीकाकरण किया जा सकता है. नसबंदी के 3 से 5 दिन के बाद उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उसे जिस क्षेत्र से पकड़ा गया है उसी क्षेत्र में छोड़ना होता है. इसके अलावा शिकायतकर्ताओं द्वारा कुत्तों को वापस छोड़ने की कार्रवाई का लगातार विरोध किया जाता है जो कि दिशानिर्देशों के खिलाफ है इसके कारण शिकायतें बनी रहती हैं फिर भी संबंधित संस्था को ऐसे मामलों में आवश्यक दिशा निर्देश दिए जाते हैं.

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